রবিবার, ২২ মে, ২০১৬

চুদাচুদির সেই রাত

আমার নাম সুরেশ, আমি সময় সুযোগ পেলেই দেশী আন্টি আকুতীর বাসায় যেতাম গরম গরম দুধ দেখতে। আকুতী আন্টি ছিল খুব সেক্সি মাগি। আমি বুঝতে পারতাম আন্টির বড় তাকে সময় দিতে পারে না, তাই তার মনে অনেক কষ্ট। আমি এই সুযোগটাকে কাজে লাগাতে চেষ্টা করলাম। এমনি একদিন আমি দুপুর বেলা দেশী আন্টি আকুতীয় বাসায় গেলাম। গিয়ে দেখলাম বাসায় শশুড় শাশুড়ী এসেছে, তাই আমার আজকের দিনটা বৃথাই গেল এটা ভেবে চলে আসতে চাইলাম। আকুতী আমাকে ডেকে বলল, কোথায় যাচ্ছো? অনেক দিন পর এলে একটু বস।




আমি বললাম না থাক, কিন্তু আকুতী আমাকে কিছুতেই যেতে দিলনা। আমি বুঝতে পারলাম না কেন আজ এতো করে আমাকে থাকতে বলছে। ওহ একটা কথা বলতে ভূলেই গিয়েছি। আকুতী আমার দূর সম্পর্কের আন্টি হলেও বয়সে আমার থেকে বেশি বড় না। দেশী আন্টি আকুতির বয়স সম্ভবত 25-27 এর মধ্যেই হবে। কিন্তু দেখে মনে হয় 18-20। কেউ দেখে বুঝতে পারবে না এই মেয়ের বয়স এতো। যাই হোক কিছুক্ষন বসার পর আকুতীয় শশুড় শাশুড়ী চলে গেল। আমি বুঝতে পারলাম হয়তো এই জন্যই আমাকে যেতে বারন করেছে আকুতী। যাওয়ার পর আকুতী আমাকে ডেকে বলল তুমি একটু বস আমি গোসলটা সেরে আসছি। আমি বললাম, আচ্ছা যাও। তারপর দেশী আন্টি আকুতী বাথরুমে চলে গেল আর আমি ড্রইং রুমে বসে টিভি দেখতে লাগলাম। টিভি দেখতে দেখতে হঠাৎ আমার চোখ পড়লো টিভির উপরে, দেখলাম একটা সেক্স এর সিডি। আমি সেটাকে চালু করে দেখতে লাগলাম।
ওটা দেখতে দেখতে আমি ভুলেই গিয়েছিলাম আকুতী যে কোন সময় চলে আসতে পারে। হঠাৎ আকুতী গোসল সেরে চলে আসলো আর এসে সব দেখে ফেলল। আমি লজ্বায় পড়ে গেলাম, কিযে ভাবে কি জানে। তারপর মুচকি হেসে আকুতী বেড রুমে চলে গেল। এতক্ষন ধরে সেক্স ভিডিও দেখার পর আমার সাহস বেড়ে গেল তাই আমিও দেশী আন্টি আকুতীর পেছন পেছন বেড রুমে ঢুকলাম। ঢুকেই আমি দেখলাম আকুতী জামা বদলাচ্ছে। আমাকে হঠাৎ দেখে খুব লজ্বা পেয়ে আচল দিয়ে বুকটা ঢাকল। তখন আকুতীর ফর্সা শরীরে একটা পায়জামা আর বুকে একটা ওড়না ছাড়া কিছুই নেই। আমি আর দূরে সরে থাকতে পারলাম না। আকুতীর কাছে গিয়ে জরিয়ে ধরলাম। আকুতী আমার হাত থেকে ছোটার চেষ্টা করেও ব্যর্থ্ হলো। আমি বললাম, আমি তোমাকে ভালবাসি আকুতী, ও বলল, সেটা কি করে সম্ভব আমি একজন বিবাহিত মহিলা।
আমি বললাম,তাকে আমার কিছুই আসে যায় না, এই বলে আমি দেশী আন্টি আকুতিকে বুকে জড়িয়ে ধরে কপালে একটা কিস করলাম। ভেজা চুল আর সদ্য গোসল করা ফর্সা শরীরটা এখন আমার হাতের মুঠোয়। দেশী আন্টি আকুতি আমার বুকে মাথা রাখল আমি মুখটা বুক থেকে তুলে নরম লাল টকটকে ঠোটে আলতো করে কিস করলাম। আকুতি শিহরিত হয়ে চোখ বন্ধ করে ফেলল। আমি ঠোটে গলায় কিস করতে থাকলাম। এসময় আমি দেশী আন্টির হট দুধের কথা ভুলেই গিয়েছিলাম। দেখলাম ওড়নার উপর দিয়ে দুধের বোটা ফুলে আছে। আমি ওড়নাটা সরানোর জন্য হাতটা বাড়িয়ে দিতেই হঠাৎ কলিংবেল বেজে উঠল। আমার তো মেজাজটা খুব গরম হয়ে গেল। দরজা খুলে দেখলাম কাজের বোয়া এসেছে। এবারের মত আমার চান্স শেষ। আমি দেশী আন্টি আকুতীর কাছ থেকে বিদায় নিয়ে চলে এলাম। তারপর একদিন আমার মাথায় একটা দারুন আইডিয়া এলো।

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Ek din hua yuk i mere ek bachpan ka dost Kuldeep mujhe college se aate mil gaya G-2 circle par mujhe dekhte he usne mujhe awaaz lagayi… mei uske pass gaya aur uss-se haal- chal poochne laga.Aur phir hum cigerettee peene khade ho gaye aur baato- baato mei usne bataya ki uski family wale waapis Gandhinagar aa gaye hai.

Toh maine use mobile number diya aur uska mobile number liya… baad mei hum apne- apne ghar chle gaye.





Uske 3 din baad uska call aaya toh maine aatend kiya aur usne kaha- mei movie dekhne ja raha hu… tu aa raha hai kya?

Maine use ‘ha’ kar de aursector -11 mei cinemax pahuch gaya… waha par wo pehale se he tha.

Humne mivie dekhi… baad mei jab mei use uske ghar drop karne gaya… toh waha jakar mei yeh dekhta he reh gaya ki meri jaan Shivani usi ke ghar ke bajoo mei rehati hai… iss baat ko jaan kar mei bahut khush hua.

Aab mei roj uss dost ke ghar jane laga aur maine apne dost ko bhi yeh baat batayi ki mei use yaani Shivani ko chodna chahata hu.

Toh usne kaha- thik hai… mei teri madad karunga.. par tere baad mei bhi use chodunga.

Maine use ‘ha’ keh di… baad mei usne mujhe help ki… usne meri aur Shivani ki dosti karwa de.

Phir kyat ha… maine use facebook par friend request bhej de… hamari dosti badhti ja rahi thi.

Maine uss-se ek din poocha- movie dekhne chogi?

Toh shivani ne ‘ha’ keh di… hum dono movie dekhne gaye… uske baad maine uss-se apne mann ki baate ki… wo bhi mujhse akarshit ho chali thi.

Phir hum ghar aa gaye.

Aab mei uss-se phone par bhi baat karne laga…

Phir maine Valentine Day par use propose kar diya… usne ‘ha’ keh di.. meri prasanta ka thikana he na tha.

Iske baad mei hum log bindaas milne lage… chumban waigerah karte rahe.

Uske baad maine uss-se ek din pooch he liya- kya tum mere saath sex karogi?

Usne ‘ha’ kar de… maine apne dost se bina bataye use guest- house le gaya.

Kamre mei jate he maine use chumban karna chaloo kar diya.. aur wo dhire- dhire garam hone lagi. Maine uske badan se top aur legging utar de thi.. wo sirf safed rang ki bra aur penty mei he thi.

Kya maal lag rahi thi… 34-24-36 ke figure mei use dekh kar mei josh mei aa gaya aur use pakad kar bister par dhakel diya. Mei use betahsasha chumne laga… wo sikar karne lagi- oh.. jaan…come on… oh…

Uske esse kehane par maine josh mei aakar apne kapde utar diye aur uski penty utar kar uski gulabi mast choot ko chatne laga.

Wo mast ho gayi thi…thodi der baad hum 69 ki awastha mei aa gaye.

Usne mera lund muh mei le liya.

Dosto, lund ko uske muh mei dete he kya mast sukoon mila mujhe… mei aapko byaan nahi kar sakta.

Uske baad maine use lita kar uske nichetakiye rakh kar… uski makhan se mast choot mei lund daal diya.

wo chillayi… par maine dhyaan nahi diya aurek darinde ki tarah use chodta raha…

Uske baad wo akad se gayi aur mujhe apne aur zor se khinchne lagi.

Maine dhakko ki raftaar badha di… aur wo tez sitkar karti hui jhad gayi.

Maine apni dhakko ki baujjaar chalo rakhi… aur uske jhadne ke 10 minute baad mei bhi jhad gaya…

Hum dono bister par nidhal ho kar pade rahe…

Lekin mujhe aabhas hua gaya ki Shivani kunwari nahi thi, wo pehale bhi chud chuki thi, khai kheli thu tabhi toh usne bina kahe mera lauda chusna shuru kar diya tha par kuch bhi ho, mast choot thi Shivani ki!

Phir baad mei yeh silsila chal pada aur uske saath meri pyaas bhi bujhti rahi

Yeh meri pehali kahani hai… umeed hai aapko pasand aayi hogi.

Hindi sex story Two Woman

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करीब नौल साल पहले की बात है। उस समय मेरी उम्र बाईस साल थी और मैं पी-दब्ल्यू-डी डिपार्टमेंट में नया-नया भर्ती हुआ था। चुनाव आयोग की ओर से फोटो वाले कार्ड बाँटने थे। ये काम हमारे डिपार्टमेंट के पास भी था ओर ये कार्ड बाँटने का काममेरे साथ दो और साथियों को दिया गया। मेरे पास जो कार्ड थे वो उस इल्लाके के थे जो रईस पैसे वालों का था। मैं दो दिन तक घरों में जा-जा कर कार्ड बाँटता रहा। गर्मी के दिनों में ये काम आसान नहीं था।
तीसरे दिन भी मैं कार्ड बाँट रहा था। एक घर में गया तो गेट पे खटखटाने पर कोई नहीं आया। मुझे लगा कि घर में कोई तो मौजूद होना ही चाहिये क्योंकि गेट के अंदर होंडा सिटी कार खड़ी थी और गेट के बाहर भी एक स्कोडा कार मौजूद थी। हिम्मत करके अंदर घुसा और चारों ओर नज़र मारी कि कहीं से कोई कुत्ता ना आ जाये क्योंकि अमीरों के घरों में अक्सर कुत्तों से सावधान रहना पड़ता है। जैसे तैसे घए के मुख्य-दरवाजे पे जाकर घंटी बजायी लेकिन कोई आवाज नहीं सुनी। शायद घंटी खराब थी। दरवाज़ाठोंका तो कोई नहीं आया। कुछ देर मैं वहाँ खड़ा रहा। फिर वापस आने लगा कि तभी मैंने ध्यान दिया कि अंदर से अंग्रेज़ी गाना बजने की आवाज़ आ रही है। मैंने हिम्मत की और बगल में जा कर खिड़की से अंदर देखने गया। खिड़की ऊँची थी तो मैंने वहीं पड़ी एक बाल्टी को उल्टा करके उस पर चढ़ गया।



अंदर देखा तो देखता ही रह गया। मेरे हाथ पैर सुन्न हो गये थे। अंदर दो औरतें पूरी तरह से नंगी थीं और सोफे पर एक-दूसरे से चिपक कर बैठी सिगरेट और शराब पी रही थीं। वहीं मेज पर आधी भरी शराब की बोतल और एक विदेशी सिगरेट का पैकेट और ऐश-ट्रे भी रखी थी। सिगरेट की हल्की सी बू तो मुझे खिड़की के बाहर तक आ रही थी। ये औरतें लगभग पैंतीस साल की रही होंगी। दिखने में दोनों ही बिकुल पटाखा थीं। दोनों के लंबे घने काले बाल, कजरारी आँखें, लिपस्टिक लगे लाल-लाल होंठ। दोनों का नंगा जिस्म बहुत ही सैक्सी और सुडौल था। ज़ाहिर था कि दोनों काफी अमीर थीं क्योंकि उनमें से एक के गले में कीमती मोतियों का हार था और दूसरी के गले में हीरों का नेकलेस था। दोनों की कलाइयों में कीमती कंगन और फैंसी घड़ियाँ भी थीं। एक के पैरों में सफेद रंग के ऊँची पेंसिल हील के सैण्डल थे और दूसरी ने अपने पैरों में लाल रंग के वैसे ही पेंसिल हील के सैण्डल पहने हुए थे। दोनों के मम्मे भी काफी बड़े-बड़े थे और दोनों की चूतें भी बिल्कुल साफ सुथरी और चिकनी थीं। झाँटों का नामोनिशान नहीं था।
वो औरतें शराब पीते हुए बार-बार एक दूसरे को चूम रही थीं और चिपक कर एक दूसरे के मम्मे भी सहला रही थीं। उन औरतों के शराब के ग्लास जब खाली हुए तो दोनों एक बार फिर होंठों से होंठ चिपका कर एक दूसरे को चूमने लगीं। कुछ देर ऐसे ही चूमने के बाद सफेद सैंडल वाली औरत खड़ी हुई और झूमती हुई कमरे से बाहर निकल गयी। उसके लड़खड़ाते कदमों से साफ ज़ाहिर था कि वो नशे में थी। दूसरी औरत सोफे पर पीछे टिक कर बैठ के टाँगें फैलाये अपनी चूत सहलाने लगी। इतने में ही पहले वाली औरत अपने साथ डोबरमैन नस्ल का एक बड़ा सा कुत्ता अपने साथ लेकर वापिस आ गयी।

दोनों लगी हुई थी मस्ती में
दूसरी औरत भी नशे में झूमती हुई सोफे से उठी और फिर दोनों औरतें उस कुत्ते को पकड़ कर उसे पुचकारने और दुलारने लगीं और वो कुत्ता उनसे बचने की कोशिश कर रहा था। सफेद सैंडल वाली औरत ने कुत्ते को पकड़ा ओर दूसरी अपनी टाँग फैला कर बैठ गयी। मेरा लण्ड हरकत कर रहा था। फिर दोनों औरतों ने कुत्ते के सिर को पकड़ कर टाँगें फैला कर बैठी हुई औरत की चूत में कुत्ते का मुँह लगाया। लेकिन कुत्ता अब भी ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहा था। सफेद सैंडल वाली औरत ने एक हाथ से कुत्ते का लण्ड सहलाना शुरू कर दिया। मेरा लण्ड अपने पूरे तेवर पर आ गया था। पैंट फाड़ कर बाहर आने को मचलने लगा। कुछ देर में ही कुत्ता शाँत हो गया और टाँगें फैलाये बैठी हुई लाल सैंडल वाली औरत की चूत को चाटने लगा। वो औरत बहुत मस्त हो रही थी और अपनी चूत को रुक-रुक कर ऊपर उठा रही थी। कुत्ता उसकी चूत ज़ोर-ज़ोर से चाट रहा था। दूसरी औरत उसके लण्ड पर हाथ फेर रही थी। कुत्ते का लण्ड थोड़ा-थोड़ा करके बाहर आ रहा था और वो औरत उसके लण्ड को सहला रही थी। फिर जब कुत्ते से अपनी चूत चटवा रही लाल सैण्डल वाली औरत उठने लगी तो कुत्ता उस पर उछलने लगा। वो औरत घूम कर कुत्तिया कि तरह हो गयी। उसकी गाँड कुत्ते के मुँह पर थी और कुत्ता उसको चाटने लगा।
दूसरी औरत ने कुत्ते के आगे के दोनों पैर उठाये और लाल सैंडल वाली औरत के ऊपर चढ़ा दिया। कुत्ते को भी समझ में आ गया कि उसे क्या करना है। शायद वो कुत्ता उन औरतों के साथ पहले भी चुदाई में शामिल हो चुका था। वो जोर-जोर से झटके मारने लगा पर उसका लण्ड बाहर ही था। दूसरी औरत ने कुत्ते का लण्ड पकड़ा और नीचे कुत्तिया बनी लाल सैण्डल वाली औरत की चूत के पास ले गयी। कुत्ता झटके मार रहा था और कईं झटकों के बाद उसका निशाना लग गया ओर कुत्ते का लण्ड लाल सैण्डल वाली औरत की चूत में घुस गया।
वो औरत मस्त हो गयी। कुत्ता झटके मार रहा था। वो औरत कुत्ते के झटकों से पूरी हिल रही थी। दूसरी औरत लड़खड़ाती हुई उठी और कुत्तिया बनी औरत के आगे खड़ी हो गयी और अपनी टाँगें फैला कर झुक गयी। कुत्तिया बनी औरत के मुँह के सामने अब उसकी चूत थी। कुत्ते से चुद रही औरत ने अब सफेद सैंडल वाली औरत की चूत चाटना शुरू किया। खड़ी हुई औरत भी मस्त हो रही थी। वो अब अपने बड़े-बड़े मम्मे अपने ही हाथों से दबाने लगी। कुत्तिया बनी औरत उसकी चूत में कभी अपनी जीभ डालने की कोशिश करती तो कभी उसको चाटने लगती। उधर कुत्ता भी धक्के मार-मार कर चोद रहा था। खड़ी हुई औरत भी नशे में ज्यादा खड़ी नहीं रह सकी और बैठ गयी ओर कुत्ते से चुद रही औरत के खरबूजे जैसे मम्मे दबाने लगी। दोनों शराब और चुदाई की मदहोशी में थीं और उनकी चूत से निकला पानी फ़र्श पर बिखर रहा था।
कुत्ता अब ढीला पड़ गया था पर वो उस औरत की कमर से नीचे नहीं उतरा था। कुछ देर बाद कुत्ता उतरा ओर एक तरफ़ हट कर अपने लण्ड को चाटने लगा। कुत्तिया बनी औरत भी बैठ कर अपनी कमर सीधी करने लगी। वो पीछे की ओर झुकी तो उसकी चूत आगे की ओर निकल गयी। उसकी चूत में से कुत्ते के लण्ड का सफेद माल निकल रहा था। सफेद सैंडल वाली औरत झुक कर उसकी चूत को चाटते हुए कुत्ते का वीर्य पीने लगी। फिर उसके पूरे बदन को चाटते हुए वो ऊपर पहुँच गयी और अब उसके मुँह में लाल सैंडल वाली औरत के खरबूजे जैसे मम्मे थे जिन्हें वो जोर-जोर से चूस रही थी। लाल सैंडल वाली ने भी सामने वाली के बड़े बड़े मम्मे दबाने शुरू किये ओर फिर दोनों एक दूसरे के बदन को सहलाते हुए खड़ी हो गयीं। खड़े-खड़े एक दूसरे का बदन सहलाते सहलाते दोनों ने एक दूसरे की चूतों में उंगली डाल दी। दोनों का एक हाथ एक दूसरे के मम्मों पर था ओर दूसरा हाथ एक दूसरे की चूत पर था। वो अपनी उंगलियाँ एक दूसरे की चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगी। दोनों की चूत लाल हो गयी थीं। उंगलियों के अंदर बाहर होने से दोनों की चूतों से पानी निकल रहा था जो उनकी उंगलियों के झटके के कारण छिटक-छिटक कर नीचे गिर रहा था।
दोनों ने अब अपनी उंगलियाँ चूतों से निकाल लीं। दोनों अब एक दूसरे को अपनी बाँहों में भर कर चिपक गयी और दोनों के मम्मे आपस में एक दूसरे से ऐसे दब गये जैसे कि दोनों के मम्मे अपनी अपनी ताकत दिखा रहे हों। दोनों औरतें अब एक दूसरे के नंगे जिस्मों को सहला रही थीं। उनके हाथ कुछ देर एक दूसरे के बालों को सहलाते तो कभी पीठ को तो कभी गाँड को। कुत्ता भी बीच-बीच में उन दोनों को आ कर चाट जाता ओर फिर दूर जा कर अपने लण्ड को चाटने लगता। दोनों औरतें एक दूसरे से चिपकी हुई थीं ओर बीच-बीच में एक दूसरे के मम्मे दबा लेती तो कभी चूत ओर गाँड तो कभी पीठ सहला रही थीं। मेरे लण्ड का पानी इस एक घंटे में निकल चुका था ओर वो फिर टनटनाने लगा था। करीब दस मिनट बाद दोनों नंगी ही उस कमरे से बाहर चली गयीं और उनके पीछे कुत्ता भी निकल गया। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। हाथ-पैर में जैसे जान ही नहीं थी। मैं चार पाँच मिनट वहँ रुका कि शायद वो औरतें कमरे में वापस आयें पर जब वो नहीं आयीं तो मैं वहाँ से निकल गया। वो पूरा दिन और रात मेरी आँखों के सामने दोनों औरतों की नंगी तस्वीर दिखायी देती रही। मेरा मन उन औरतों में ही अटक गया था। कम उम्र के बावजूद चुदाई के खेल में मैं काफी अनुभवी था लेकिन उन औरतों को आपस में लेस्बियन चुदाई और खासकर के कुत्ते के साथ चुदाई करते हुए देखना मेरे लिये नयी बात थी।

রবিবার, ৮ মে, ২০১৬

Tor Phelo Tor Bapher Puthkier Gondho




আমিও কলেজে ভর্তি হলাম ল নিয়ে. এর কিছুদিন পর আমার কলেজ থেকে সুপ্রীম কোর্ট ভিজ়িটের জন্যে দিল্লী যেতে হবে বলল. প্রায় তিন সপ্তাহের জন্যে. আমাদের কলেজ থেকে একটা হোটেলে থাকার ব্যাবস্থা করেছিলো. আমি বললাম আমার দরকার নেই, আমার দাদা থাকে ওখানে. আমি দাদার কাছেই থাকবো. কলেজ অথরিটী সেটা এপ্রুভ করে দিলো. আমি রাজধানী করে এক শনিবার সকাল ১০:৩০ নাগাদ দিল্লী পৌছতে দাদা দেখি দিল্লী স্টেশনের বাইরে অপেক্ষা করছে ওর গাড়ি নিয়ে. আমি সব বন্ধু আর টীচার দের বাই বলে দাদার সাথে চলে গেলাম.
দাদার বাড়িটা খুব সুন্দর আর বেশ বড়ো. আমি যাবার পরে দাদা আমায় জিজ্ঞেস করলো আজ কোনো কাজ আছে কিনা, আমি বললাম না আজ কিছু নেই কাল থেকে যেতে হবে কোর্টে. দাদা বলল ঠিক আছে. তুই জার্নী করে এসেছিস স্নান করে ফ্রেশ হয়ে তারপর একটু খেয়ে নিয়ে রেস্ট করতে হবে. ট্রেন এর ধকল খুব বাজে. এই সব কথা শুনে আমি খুব আহত হলাম. দাদা কি আর আমায় চায় না? তারপর আমি ব্যাগ থেকে জামা কাপড় বের করে বাথরূম এর দিকে যেতে গেলাম তখন দাদা হল থেকে উঠে এসে বলল দাড়া তুই অত জামাকাপড় নিয়ে কোথায় যাচ্ছিস, ওসব কি কাজে লাগবে আমার কাছে আবার লজ্জা পাচ্ছিস নাকি. আমি সব জামাকাপড় ফেলে দিয়ে দৌড়ে দাদার বুকে এসে দাদকে জড়িয়ে ধরলাম. বললাম দাদা দিল্লী আসার কথা জানতে পেরে অপেক্ষা করছিলাম কখন তুই আমাকে আমার শরীরটা নিয়ে খেলা করবি. আর তুই কি রকম একটা করছিলিস. দাদা বলল চল অনেক হয়েছে এবার তোকে চান করিয়ে দিতে হবে.বলে দাদা আমাকে কোলে তুলে বাথরূমে ঢুকল. বাথরূমে গিয়ে আমার সব জামাকাপড় খুলে দিলো, আমি তখন ব্রা আর প্যান্টি পরে আছি. দাদার শর্ট্স এর দিকে তাকিয়ে দেখি ওর শর্ট্স টা ফুলে তাবুর আকার ধারণ করেছে.আমি দাদা কে বললাম দাদা তোর শর্ট্সটা উচু হয়ে গেছে খুলে নে. দাদা মুচকি হেসে বলল খালি আমার বাঁড়া দেখার সখ না. আমি বললাম বেশ করবো দেখবো. ওটা তো আমার সম্পত্তি. আমি দিল্লী আসার আগে এন ফ্রেঞ্চ দিয়ে আমার গুদের, পায়ের আর বগলের চুল শেভ করে এসেছিলাম. দাদা আমার কথা শুনে শর্ট্সটা খুলে লেঙ্গটো হয়ে গেলো. দেখলাম দাদার বাঁড়াটা সেই আগের মতো পুরো আখামবা. আমি হাত বলতে লাগলাম. দাদা আস্তে করে বলল আমায় শুধু লেঙ্গটো দেখবি নাকি, আমাকে তোর তা দেখতে দিবি না? আমি বললাম আমার যেটা দরকার ছিলো আমি নিয়ে নিয়েছি, তোর দরকার হলে তুই নিয়ে নে.
দাদা আমার পেছনে হাত দিয়ে আমার ব্রেসিয়ারের হুকটা খুলে দিলো আর ব্রেসিয়ারটা টেনে খুলে নিয়ে আমার একটা মাই নিয়ে খেলতে লাগলো. দাদা বলল আরে এটা বেশ বড়ো হয়ে গেছে. এটা এখন দরুন এক খাবার জিনিস হয়ে গেছে. আমি বললাম তো খান না, কে বরণ করেছে. তোর জন্যেই তো এসব আছে. বলতেই দাদা আমার একটা মাই মুখে নিয়ে চুষতে থাকলো. বলল উফফফ!!! কতো দিন পরে আমি দেবজানি সোনার মধু আবার পাচ্ছি. উফফফফফফফ!!! কি ভালো না লাগছে তোর মাইটা খেতে, কি সুন্দর ফর্সা রং, ক্যাড্বেরীর ওপর একটা জেমস বসানো. দাদা পালা করে আমার দুটো মাই চুষছিলো আর আমি দাদার বাঁড়া নিয়ে কচলাছিলাম. আধ ঘন্টা এরকম যাবার পর দাদা আস্তে আস্তে আমার নীচের দিকে নেমে পেটে চুমু খেলো আরও নীচে নেমে আমার প্যান্টির ওপর চুমু খেলো. জিজ্ঞেস করলো কিরে শেভ করেছিস তো, আমি দাদার গলাটা টিপে বললাম যে আমি জানি যে তুই আমার গুদটা শেভড পছন্দো করিস তো না শেভ করে কি করে আসব. খুলে দেখনা. দাদা আমার প্যান্টিটা খুলে নিলো. আমার গুদের ওপর হাত দিয়ে বলল যেন একটা মাখনের দলা. বলেই মুখ ডুবিয়ে দিয়ে আমার গুদের রস খেতে লাগলো.
তারপর দাদা আমায় বলল চল এখানে শুয়ে পরি. আমি বাথরূমের মেঝেটে শুয়ে পড়লাম দাদা আমার গুদটা চুষতে থাকলো আর আমি দাদার বাঁড়াটা. প্রায় এক ঘন্টা চোষার পর আমি দাদা কে বললাম উ কি রকম করছে মনে হচ্ছে জল খসবে নে নে দাদা খেয়ে নে. দাদা আমার গুদের মধ্যে মুখটা চেপে ধরলো. আর জিভ দিয়ে চেটে চেটে সব রস খেয়ে নিলো. দাদাও এর পর আমার মুখে জোরে জোরে কয়েকটা ঠাপ মেরে ফ্যেদা চ্ছেরে দিলো. বলল দেবজানি সোনা এটা তোর জন্যে আড়াই বছর ধরে জমিয়ে রেখেছিলাম. তোর জিনিস তোকে খাইয়ে দিলাম. এর পর আমরা উঠে পড়লাম আর ভালো করে সাবান মাখিয়ে দাদা আমাকে আর আমি দাদকে চান করিয়ে দিলাম. চানের সময় দাদা আমার মাই গুলোতে সাবান মাখিয়ে আবার খুব চটকালো আর সাবান দিয়ে গুদের ভেতরে আঙ্গুল ঢুকিয়ে ভালো করে রোগড়ে দিলো. আমি সাবান দিয়ে দাদার বাড়ার মুন্ডি খোলা-বন্ধ করে ভালো করে কছলে দিলাম. এর পর দুজনে দুজনকে মুচ্ছিয়ে দিয়ে আমি দাদার কোলে চড়ে বাথরূম থেকে বেড়োলাম আর দাদা মুখ নামিয়ে আমার মাই টা খেতে খেতে বেরলো. দেখি ঘড়িতে ১:৩০ টা বাজে, মানে আমরা দেড় ঘন্টা ধরে চান করেছি. দাদা বলল এবার খাবার ব্যাবস্থা করতে হবে.
সকালে বানিয়ে রেখেছিলো দাদা সব খাবার. সে গুলো গরম করে দাদা টেবিলে নিয়ে এলো আর একটা প্লেট নিয়ে এলো. আমি জিজ্ঞেস করলাম কিরে একটা প্লেট, আমরা তো দুজন. দাদা বলল তাতে কি তুই আমার কোলে বসে এক প্লেট থেকে খাবি কোনো আপত্তি আছে তাতে? আমি বললাম, না কোনো অসুবিধে নেই. একটা প্লেট এ দাদা ভাত, একটা বটিতে ডাল, আলু ভাজা, আর একটা বাটিতে চিকন নিলো. দাদা এইবার যা করলো অদ্ভুত রোমাঞ্চকার. দাদা আমার নাইটিটা খুলে দিলো আমার ভেতরে কিছুই ছিলো না. আমি পুরো লেঙ্গটো হয়ে গেলাম, বললাম কি হলো? দাদা বলল বেশি কথা বলিস না দেখ না কি হয়. বলে ও ওর শর্ট্সটাও খুলে ফেলল আর শর্ট্সটা একটা চেয়ারে রেখে তার ওপর বসলো. আর এবার আমাকে ওর কোলে বসতে বলল. আমি বসলাম তাতে ওর খাঁড়া হয়ে থাকা বাঁড়াটা আমার গুদে ঘসা খাচ্ছিলো. দাদা আমার মাই দুটোকে একটা একটা করে বাম হাত দিয়ে খুব টিপছিলো. এই অবস্থাতে আমরা খাচ্ছিলাম. একটা অদ্ভূত লাগছিলো, পেটের খিদে মেটা আর গুদের খিদে পাওয়া একসাথে অনুভব করছিলাম.
খেতে গিয়ে দাদা এগিয়ে আসতে গেলো কিন্তু ওর খাঁড়া বাঁড়াটার জন্যে অসুবিধে হচ্ছিলো. ও হঠাত্ করে আমার গুদের ভেতরে বাঁড়াটা পুরে দিলো আর বলল এই বার চিকেন আর দেবজানি সোনার মাংসল দেহ দুটো এক সঙ্গে খাওয়া যাবে. ও আরামে চিকেন খাছিলো আর আমি ওর কোলে বসে ঠাপ মারছিলাম. তারপর আমি চিকেন খাছিলাম আর দাদা নীচে থেকে আমাকে ঠাপ মারছিলো. এই ভাবে এক ঘন্টা ধরে চোদা খেতে খেতে আমি দু বার জল খোসিয়ে দিলাম. আর খানিক পর দাদা কয়েকটা জোর ঠাপ মেরে আমার মধ্যে সব ফ্যেদা ঢেলে দিলো. এর পর আমাকে ওই অবস্থাতে ধরে বেসীনে নিয়ে গেলো আমি হাত দিয়ে জল নিয়ে মুখ ধুলাম ওর মুখ ও ধূইয়ে দিলাম. তারপর ওই ভাবে ধরে আমাকে ঘরে নিয়ে গেলো আর বিছানায় শুয়ে দিলো. দেখি আমার গুদ থেকে ওর ঢালা বীর্য গুলো অল্প অল্প করে বেড়োচ্ছে. দাদা বলল খাবার পর একটা মুখসুদ্ধি দরকার এই বলে ও আমার গুদে মুখ লাগিয়ে নিজের বীর্য মিশ্রিতো গুদের জল খেতে লাগলো.
আমার সে সময় সুখের চোটে পাগল হবার জোগার. আমি বুঝতে পারচিলাম এই তিন সপ্তাহে আমার কি অবস্থা হবে, বিশেষ করে শনি-রবিবার গুলো. ও চুদে চুদে আমার গুদের ছাল চামড়া বের করে দেবে.
এই ভাবে গুদ চুষতে চুষতে ওর বাঁড়াটা আবার খাঁড়া হয়ে গেলো. আর ও আমার ওপর শুয়ে পরে আমাকে চুদতে থাকলো. ও কি জোরে জোরে ঠাপ মারছিলো. মনে হচ্ছিলো যেন প্রতিটা ঠাপের সাথে ওর বাঁড়াটা আমার আরও ভেতরে চলে যাচ্ছে. আমার মনে হোচ্ছিলো যে ও চোদার সময় ওর বাঁড়াটা আর লম্বায় বেড়ে প্রায় আমার নাভীর কাছ অবধি চলে আসছে. আমি চোখ বন্ধ করে চোদা খাছিলাম আর ওর মুখটা আমি আমার মাইগুলোর ওপর চেপে ধরেছিলাম. আর ও প্রাণ ভরে আমার মাই চুষছিলো আর আমায় চুদছিলো. আমার হাত পা অবস হয়ে যাচ্ছিলো. প্রায় দেড় ঘন্টা অনবরত চোদার পর আমার গুদে আবার বীর্য ঢেলে দিলো আর আমিও এর মধ্যে তিনবার জল খোসিয়ে দিলাম. এর পর দাদা আমার ওপরে শুয়ে রইলো ওর নেতানো বাঁড়াটা আমার গুদে রেখেই. আমি দাদকে বললাম তোর কাছে চোদন খেতে খুব ভালো লাগে. দাদাও বলল আমার তোকে দেখলেই মনে হয় বাঁড়াটা তোর গুদে ঢুকিয়ে দিই. এর পর চুমু খেতে খেতে কখন যে ওই ভাবেই আমরা ঘুমিয়ে পড়লাম জানি না.
আমার যখন ঘুম ভাংলো তখন ঘড়িতে ৭ টা বেজে গেছে. দেখি দাদা উঠে পড়েছে কিন্তু আমার ওপর শুয়ে আমার মাইয়ের বোঁটাটা চুষছে. ওর বাঁড়াটা এখনো আমার গুদে ভরা. কিন্তু ওটা আর আগের মতো নেতিয়ে নেই, এখন খানিক বড় হচ্ছে. দাদা কে জিজ্ঞেস করলাম কি রে আবার চাই. দাদা বলল চাই তো আমার দেবজানি সোনার মাই গুলো চুষে আর দেবজানি সোনাকে চুদে যেন আস মেটে না. যতই চুদি মনে হয় আরও আরও চুদি. তারপর আমার অন্য মাইটা ধরে চুষতে চুষতে বলল কি বানিয়েছিস মাই গুলো, কি নরম, কি ফর্সা আর কি বড়. আমায় জিজ্ঞেস করলো হ্যাঁ রে তোর সাইজ় কতো? আমি বললাম ৩৬. দাদা বলল ৩৬ বানালি কি করে আমি তো শেষ যখন খেয়েছিলাম তখন তো ৩২ ছিলো. কে বানলো অত বড়ো. ও জিজ্ঞেস করলো হ্যাঁ রে কারো সাথে করিস নাকি কলকাতায়? আমি বললাম হ্যাঁরে দাদা করি. দাদা বলল কে? আমি বললাম ওই যে তুই ছেলেটাকে ধমকে এসেছিলি সে. আমি বললাম শোন রে আমার সব থেকে ভালো লাগে তোর টেপন আর চোদন খেতে. তোর হাত আর বাঁড়ায় জাদু আছে. ওই ছেলেটা তো টাইম পাস. আমি বললাম কি করবো তুই যা আগুন জেলে দিয়েছিস আমার শরীরে মাঝে মাঝে এত অসুবিধে হয় তাই আমাকে মেটাতে বাধ্য হতে হয়. দাদা আমার কথা শুনে মুচকি হাসি হাসলো.
এরপর আমি দাদাকে জিজ্ঞেস করলাম তুই করেছিস এর মধ্যে? দাদা বলল হ্যা আমার দুটো কলীগের সাথে আর একটা কলেজ ফ্রেংডের সাথে যে কিনা দিল্লী তে এসেছে চাকরী নিয়ে. ওই মেয়েটা মেসে থাকে. আমি বললাম তোর কাকে চুদতে বেশি ভালো লাগে? দাদা বলল এটা কেমন কথা সব থেকে ভালো তো তোকে লাগে. তোর মধ্যে একটা আলাদা আকর্ষন আছে. কলীগ গুলো যেন কেমন চুদতে পাইনা তাই চুদে দাও. ও সব ভালো না. তাও কন্ডম পরে, কতজন এর সাথে করেছে কে জানে. আমি হেসে ফেললাম. আর জিজ্ঞেস করলাম তোর ওই কলেজ ফ্রেংড? সেও কি ওরকম? ও বলল না ও সেরকম নই. ও তবু ঠিক আছে, একটা ফীলিংগ্স আছে, কিন্তু আমি ওকে চুদতে চুদতে তোর কথা ভাবি আর ওকে চুদি, কি করবো তোকে পাইনা যে. আমি একটা নিশ্বাস ফেললাম আর বুঝলাম দাদা আমাকে কতো ভালোবাসে যে ওর গার্লফ্রেংডকে চুদতে গিয়েও মনে করে আমায় চুদছে. এতো খনের মধ্যে দাদার বাঁড়াটা মুসল আকার ধারণ করেছে. আর দাদাও জোরে জোরে ঠাপ মারতে শুরু করে দিয়েছে. ১৫ মিনিট এমন চোদার পর দাদা বলল কুত্তা চোদা চুদবো তোকে. পেছন ফের. আমি বসে পেছন ফিরে পাছাটা উচু করে বসলাম. দাদা আমাকে চুদতে থাকলো. মনে হলো আমার গুদটা ফেটে যাবে. আমি বলতে লাগলাম দাদা রে আমার কি যে ভালো লাগছে বলার নই. এই সময় দেখি দাদার ফোন মা ফোন করেছে. আমি হাত বাড়িয়ে ধরলাম. দাদা চোদার স্পীডটা একটু কমিয়ে দিলো. মা জিজ্ঞেস করলো ঠিক ঠাক পৌছেছি কিনা, দাদার ওখানে ঠিক থাকা খাওয়া হলো কিনা এসব. আমি মাকে বললাম তুমি চিন্তা কোরোনা দাদার কাছে দারুন আছি, ওই রান্না করে কতো কি খাওয়ালো. মা আস্বস্ত হয়ে ফোন রেখে দিলো.
দাদা বলল কি রে আমি শুধু রান্না করা জিনিস খাইয়েছি, আর এই কাঁচা বাঁড়াটা কপ কপ করে গুদ দিয়ে খাচ্ছিস, সেটা বললি না? আমি হাঁসলাম আর বললাম ওটা তো আমাদের সীক্রেট. দাদাও হেসে দিলো. আর আমাকে চুদতে লাগলো. অফ কি চোদা চুদছে আমায়. দিল্লী পৌছেছি মোটে ৭ ঘন্টা হলো এরি মধ্যে তিন বার চুদছে আমি ভালো করেই বুঝেছি যে এই ২১ দিন আমার গুদের কি করবে দাদা. দাদা হঠাত্ জিজ্ঞেস করলো হ্যাঁ রে তোর পীরিয়ড কোবে এখানে থাকতে আবার হবে না তো? তাহলে তো মুশকিল ৫ দিন তোকে পাবো কিন্তু কিছু করা যাবে না. আমি হেঁসে বললাম না না কলকাতা থেকে আসার ২ দিন আগেই হয়েছে, মানে কলকাতায় ফিরে গিয়ে আবার হবে, যদি না তুই তার মধ্যে আমায় প্রেগ্নেংট বানিয়ে দিস. দাদা বলল সে কি কথা আমি কেনো প্রেগ্নেংট বানাবো. তাহলে তো বাড়িতে সব জানাজনি হয়ে যাবে. তুই তো পিল খাস আমি জানি.
এই ভাবে আরও খানিক চোদার পর, দাদা আমায় শুয়ে দিলো উপুর করে. আমার পা দুটোকে পেছন থেকে খুলে আমার গুদে বাঁড়াটা ভরে চুদতে থাকলো. আমার এই স্টাইলটা নতুন লাগলো নিস্চয় ওর গার্লফ্রেন্ডের কাছ থেকে আমদানি. কিন্তু ব্যাপক লাগছিলো এই ভাবে চুদতে. এর পর আমি বললাম দাদা অনেক চুদেছিস তুই আমায় এবার আমি তোর ওপর উঠি. দাদা বলল আয়. দাদা শুয়ে পড়লো আর আমি ওর ওপর উঠে ওর বাঁড়াটা একবার ভালো করে চুষে নিলাম, দাদা বলল ওরে পাগলী এখন চুষিস না বেরিয়ে যাবে, আমি মালটা তোর গুদে ঢালতে চাই. আমি বললাম ঠিক আছে. বলে আমি দুটো পা দু দিকে করে ওর ওপর বসে ওর বাঁড়াটা আমার গুদে ভরে নিলাম. এর পর জোড় জোড় ঠাপ মারতে লাগলাম দাদাও নীচে থেকে তলঠাপ মারতে লাগলো. ১০ মিনিট এমন চোদার পর আমি জল খোসিয়ে ফেলবো মনে হলো, বললাম…দাদা আমার হবে রে উফফফফফ…..আমার সব জল বেরিয়ে গেলো কেমন একটা করছে রে, চোদনা শালা বানচোদ ছেলে গায়ে জোড় নেই নীচে থেকে মার ঠাপ, চুদে চুদে আমার গুদের জ্বালা মেটা বানচোদ অমিত. আমার মুখে খিস্তি শুনে দাদা আরও জোড় জোড় ঠাপ মারতে লাগলো আর বলল ওরে শালী হারামী কু্ত্তি, খুব খিস্তি শিখেছিস, গুদমারানী, ভাই কে দিয়ে চোদানো এমন চোদন দেবো না যে গুদের ছাল চামড়া উঠিয়ে রক্ত বের করে দেবো শালা চুতিয়া বলে আবার বলল ওরে শালী আমার বাঁড়া মাল ঢালবে নে খা তোর ওই মাখনের মতো গুদ ফাঁক করে খা আমার ফ্যেদা. একটা ফোটা বের করবি না সব শুষে শুষে খেয়ে নে. এই বলে আমার গুদের ভেতর ঝলকে ঝলকে ওর ফ্যেদা বেরিয়ে আমার গুদ ভরিয়ে দিলো আর আমার গুদ ওর বাঁড়া থেকে সব রস শুষে নিয়ে নিলো. আমি এই ভাবে ওর ওপর শুয়ে পড়লাম.
একটু পরে উঠে পড়লাম. দেখি ৮:৩০ টা বাজে. বললাম চা খেতে হব ইযার রাতের খাবার করতে হবে তো. দাদা বলল হ্যাঁ. আমি নাইটিটা পরে চা করতে গেলাম আর দাদা শর্ট্সটা পরে ফ্রীজ় থেকে সবজি বের করে কাটতে বসলো.
আমার চা বানানা হয়ে গেলে দাদার কাছে নিয়ে আসি. দাদা তখন ফুলকোপি, আলু আর ঢেরস কাটলো. চা নিয়ে যেতেই দাদা নাইফ রেখে আমাকে ওর কোলে বসতে বলল. বুঝলাম যে ও আবার চুদতে চায়. আমিও চায়ের কাপ দুটো রেখে ওর কোলে বসতে গেলাম. ও আমাকে বসালো না বরং নীচ থেকে নাইটিটা তুলে দিলো যাতে আমি কোমর অবধি লেঙ্গটো হয়ে যাই. তারপর ও ওর শর্ট্স খুলে দিলো. আমি ওর গাল টিপে বললাম সব সময় বদমাইসী, খালি চোদার তাল খেতে হবে না? ৮:৩০ বাজে এসব রান্না করতে করতে ১০ টা বেজে যাবে. তারপর কখন খাবো? ও বলল কাল তোর কোনো কাজ আছে আমি বললাম হ্যাঁ ওই প্রোফেসরদের সাথে দেখা করে সব কি করতে হবে ঠিক করতে হবে, তবে অবশ্য ৩ টে নাগাদ যেতে হবে. ও বলল তাহলে কি অসুবিধে. সকালে তো ঘুমানো যাবে. আমি বললাম তুই ঘুমোতে দিবি? একবার টায্লেট পেয়ে উঠলেই হলো এসেই আবার আমাকে চুদবি. ও বলল সে তো চুদবোই. এটা তো তোর ওপর আমার অধিকার আর তুই বারণ করলে যেন আমি আমার দেবজানি সোনাকে চুদবো না. আমার যখন ইচ্ছে এই ২১ দিন যেমন করে ইচ্ছে চুদবো. বেশ করবো চুদে চুদে তোর গুদটা একেবারে ঢলঢলে করে দেবো. শালী খুব জ্বালা না গুদে না, অত কে করতে বলেছিলো. আমি বললাম আমি করেছি, তুই তো ছোটবেলা থেকে চটকে চটকে এটার এইরকম ক্ষিদে তৈরী করে দিয়েছিস. দাদা বলল বেশ করেছি আমার তোকে খুব ভালো লাগে ইয়ার তাই তোকে নিয়ে খেললে একটা আনন্দ পাই, তাই সারা দেহতা নিয়ে খেলি.
আমি দেখলাম ওর সাথে পাড়া যাবে না. বললাম উফফফফফফফফ বাবা চুদিস আমাকে যতো পারিস. নে এবার বাঁড়াটা ঢুকিয়ে দে. ও ওর বাঁড়াটা সুরুত করে ঢুকিয়ে দিলো এইসব কথায় জল ও কাটতে শুরু করে ছিলো আর বাঁড়াটা আমার গুদে ঘসে আরও উত্তেজিতো করে তুলেছিলো. এর মধ্যে আমাদের চা খাওয়া শেষ. তারপর ওই ভাবে চেয়ারে বসে খুব তাড়াতাড়ি বড়ো বড়ো ঠাপ মেরে ১৫ মিনিটেই ফ্যেদা ঢেলে দিলো, আমিও সঙ্গে সঙ্গে জল খোসিয়ে দিলাম. জিজ্ঞেস করলাম এত তাড়াতাড়ি? ও বলল রান্না করবি বললি যে. আমি বললাম উম. তার পর বাথরূমে গিয়ে আমরা দুজনে পরিষ্কার হয়ে কাটা সবজি গুলো নিয়ে রান্নাঘরে গিয়ে রান্না করলাম. এর পরের অংশ জানতে হলে কমেন্টস চাই ঈ চাই.

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Ye baat 7 saal pahale ki hai. Engg ke baad meri first job Raipur me lagi thi. Stating 15 day me mujhe company se Hotel men room mila tha. Mujhe in 15 dino me room dhundhna tha aur set hona tha. Maine apne friend ki bike lekar room dhundhna chalu kiya per 1 week thak try karane ke baad bhi koi dhang ka room nahi mila jo pasand the wo bahut mahange the. Second week me mai fool chuk area me room dekh raha tha to aur garmi ke din hone ke karan me bahut paresan ho gaya tha.

Mai ek garh me pahucha waha per ek lagbhag 45vsaal ki aurt thi. Dekhene me normal thi usne kaha ‘beta room to nahi khali hai ‘. Maine unse pani manga wo le kar aaai aur pucha ki kya karte ho kaha rahate ho etc. Maine sab kuch bata diya unone kaha ki ek room hai mere garh ke andar per mai tunhe uncle se puch ker bata dungi. Maine room dekha wo single room tha unke garh ke andar tha maine room dekha thik nahi laga kyoki lat-bath bhi alag tha aana jana unke garh se tha to mujhe thik nahi jama.

Unone kaha ki apna mob no de do mai puch kar bata dungi mai no de kar aa gaya aur room dhudne me lag gaya.2 din ke baad bhi koi room nahi mila tha fir ek din unka fone aaya aur Aunty ne muje garh bulaya mai garh gaya. Wo boli ki agar akele rahana hai to rah sakte ho maine kaha ki raat ko aane jane ke lie to unone kaha ki raat ko 10 baje tak aa jana usse late mat karana, room me cigarette anur drink allowed nahi hai, aur single rrom hone ke karan waha cooking bhi alloed nahi hai maine kaha ki thik hai aapko batata hu aur aa gaya. Room kahi nahi milne ke karan per shift ho gaya.

Baad me pata chala ki Uncle ji SECL Bilaspur Me Mines me kaam karte hai aur garh ke bahar rahate hai weekly aate hai. Wo saradar ji the thik thak the unkaa ek beta bhi hai wo married hai aur bahar hi rahata hai

Mai aunty ke baare me bata hu wo normal dikhine wali Punjabi mahila hai. Dekhene me bahut moti hai per fair hai. Unka fig 38 36 42 hai. Jab ho chalti hai to gaand hilti thi meri niyat unke like kabhi kaharab nahi thi mai khana banana chod diya aur wahi paying gust banakar khane laga. Mai aunty ke sath kaafi interaction tha.mai 6 month se wahi per tha aur ab unke family member ki tarah ho gaya tha.

Mai ek din jaldi garh aa gaya main gate shutter type ka tha mujhe laga ki aunty kahi gai hui hai mai lock khol kar andar aya to aunty garh ke floor dho thik rahi thi maine dkha wo nighty pahani thi aur ghutano tak utha raki thi. Unko dekhte he meri najar unke tango per gai unki legs bahut gori thi aur legs dekh kar nahi lahata tha ki kisis 22 sal ki ladki ki ho. Mujhe dekha to wo boli aaj jaldi aa gaye maine kaha “haa” aur Room me aaker unke bare me sochne laga. Aunty ki body me unki face ki skin me to jhurriya pad gai thi lekin unki legs bahut gori aur chikni thi. Waha per uske bhudhape ka koi asar nahi tha. Kabhi kabhi kapade dhote samaya unki jaangho ke darasan ho jaate the.

Mai jab bhi usko ghur ke dekhta tha to wo mujhe ignore kar deti thi aur apne kapado ko bina thik kiye apna kaam karati rahati thi. Unko yaad kar maine unke naam ki mutth mari aurus din ke baad meri soch badal gai jab bhi mauka milta mai unke saris ke darshan kar leta.

Isi tarah one week nikal gaye uncle week end per aa gaye. Uncle ne mujhse CBI ki tarah bahut see puch tach ki details lee parananent address puch aur mujhe room ka agreement banake ko bhi bola baad me unko convience kiya. Uncle ne puch drink lete ho aur smoke karate ho kya maine kaha ki jo karata hu room me kuch nahi karta to wo hasane lage. Baad me pata chala ki wo regular smoker hai aur drink lete hai. Coal India me wo quality department me kaam karate hai

Agle din aur shaam ko unnne jabarjasti 2 pag pila di wo sayad roz daaru pite the. Mai khana khakar apne room me chala gaya Aunty ko soch kar lund sahalane laga thodi der baad maine socha ki wo to abhi chud rahi hogi. Mai dabe paaw Aunty ke room ke bahar gaya waha per maine chuidiyo ki khankhanaht aa rahi thi mujhe pura wiswas ho gaya ki wo chud rahi hai mera lund pura khada ho gaya room me ek roshan daan tha mai waha tak nahipahuch paa raha tha maine apne room se ek mirror laya aur usko roshandan per 45″ me laga diya anadar dekha ki uncle aunty ke boobs gown ke uper se daba rahe the. Maine apne life me pahali live chudai dekhi thi room me ek night bulb hi jal raha tha uncle ne unka gown utha diya.

Baaad me uncle unki tango ki tarf chale gaye aur unki jaangh par apna muh ragdne lage is par aunty ki Chut nahi Chati. aunty ne aah ufffff oooooo karna shuru kar diya aur uncle ka lund unki lungi se bahar nikal kar sahlane lagi aur use muh me lekar chatne lagi. Mujhe ye dekh kar hairani bhi ho rhi thi aur maza bhi aa rha tha.Maine ek hath me mirror pakda tha aur dusre hathse lund sahalana start kar diya.

Uncle ka lund 4’ ka hoga per mota tha uncle ne aunty ko lita diya aur unki taange upper karke chodne lage sayad wo straight chodne me dikkat ho rahi thi kiyoki unka pet bahar nikla tha aur aunty ka bhi nikla tha. 2 se 3 min me unka gir gaya aur wo side me ludhak gaye aunty ne apne peticoat se apni chut pochi aur uncle ka lund pochkar so gai sote samay unka ek haat chut ke upper tha aur dhire dhire sahala rahi thi mai bhi mutth maar raha tha ye dekh kar fir mera gir gaya aur aaker so gaya. Mai wahi data raha uncle ka jaldi hee gir gaya aur wo peticoal me lund poch kar so gaye. Aunty waisi hee leti thi aur ungli kar rahi thi. Thodi der baar uska paani nikala fir wo bhi kapade thik karke so gai . Maine room me aakar ek baar aur muth mara aur so gaya

Ab mujhe jab bhi mauka milta mai aunty ko chune ki kosis karata rahata mai unke sath maximam time bitata tha kabhi kabhi raat ko mai unke bed room me bed me baith kar movie dekta tha aur aunty kumbal odhkar so jati mai bhi usme apne pair dhak leta tha jab mere pair se aunty ki jaangh touch hoti to bahut acchha lagta tha mai hamesa unke sarir ko touch karne ki kosi karata thund kaafi pad rahi thi. Esa din chalta raha .

Lagabhag 1 saal tak esa he chalata raha ab mai unkind puri family ka kaafi close ho gya tha. Uncle ab mere hee room me baith kar sarab peete the. Mere room me bahut se furniture shift karawa diye the Maine uniki personal life bhi puchi to pata chala ki bahud badae chodkkad the wo shaadi ke pahale bhi bahut se affair the. Wo ISM Dhanbad se paasout mining engineer the. Hum log kai baar bluefilm bhi dekhte the aur wo mujhse hamesa blufilm lete rahate the

EK din nashe me unhone mere se GF ke bare me puchaa maine bataya ki clog me GF thi bole yaha bhe hai to garh laa sakate ho wo aunty ko bol denge. To maine kaha nahi hai to bole ki bana lo maine kaha ki koi milati nahi. Fir ese he bato he bato me wo bole ki aunty kaisi lagati hai . Mujhe bahut ajib lag raha tha. Maine peg khatam kiya to Uncle ne ek peg aur bana diya. Fir dhire se bola achhi hai fir puche kya achha hai maine hasate hue kaha puri he achhi hai. Mujhse direct puch chut marige uski mai kuch nahi bola. Fir thodi der baad bola ki kya wo maan jayegi to uncle ne kaga next week bata hu.

Uske baad mai unke aane ka intajaar karane laga. Aunty bhi mjhe ajib tarah se ghoor kar dekhti thi ab mai dar gaya tha mujhe laga ki Uncle ne aunty ko bol diya ki mai unko chodana chata hu. Mai one week puri tarah se tension me tha.

One week ke baad uncle aaye Mai bhi andar aa gaya aur apne bedroom me daru peene bulaya aunty ne sofe me baithene ko kaha mai baith gaya mujhe dar bhi lag raha tha. Whicky Rum, Beer kya loge maine kaha whicky .Unhone VAT 69 ki bottle nikali aur 2 peg banaya aur aunty ke liye redwine serve ke aur fir hum dono baith kar peene lage aunty thodi der baar kaaju fry karke le aai aur ek single sofe me baith gai

Aur peena suru kiya uncle peg bana kar le aaye aur is baar mere paas sat kar baith gaye. Aur meri jaangh per haat ferete hue bola ki kaisi legi meri maal . Mujhe bolne ke kiye koi shabad nahi mil raha tha ye mera pahala 3 some exp tha.

Maine uncle ko kaha ki aunty bahut beautiful hai. Uncle ka haat mere pent ke upper lund tak pahuch chukka tha aur mera lund pura khada tha uncle use pent ke upper se sahalane lage. Aur pucha ki iska kya pasand hai tujhe maine kaha upper se le kar niche tak puri . Aunty uth kar waha se kichan chali gai fir unlce ne fir pucha sabse jayada kya pasand hai maine kaha ki aunty ke bade boobs aur gaand bahut ache lagate hai. Fir uncle ne kaan me kaha ki ye randi taiyaar hai tere liye jaisa chaye waisa ragad isko aur fir usne aunty to aawaz dee aur uske bich me baithne ko kaha wo mana karane lagi to uncle uthe aur usko pakad kai humare bich me baith diya aur khud baith gaye.

Aunty ki gaand itni badi thi ke bahut muskil se hum log baith paa rahe the. Mujhe bhi ab tak chad chuki thi maine apana peg khatamkiya aur sofe me piche tik kar baith gaya aur apna ek haat aunty ke piche kar diya . Uncle ne aunty ka pallu kira diya aur mai aakh faad faad kar unke bade boobs dekhne laga. Unka size 38 ka lag raha tha unlce ne mera ek haath utha kar unke boobs per rakh diya aur aunty ko bola ki dekh aaj teri 2 lund sath me lene khawaish puri ho jayegi.

Ab mai ek haat jo aunty ke piche daala tha wo unke right boobs per le gaya aur sahane laga . Ab uncle ne unki legs ko utha kar central table ke upper rakh diya sari ghutano tak utha dee aur kaha ki bachhe ko darashan to kara de. Aunty ne apna sir piche kar liya aur kud per kaabu karane ki kosish karane kagi . unki sase tej ho chuki thi. Uncle unkind legs per kiss kar rahe the aur mai unke gale per. Fir mai bhi niche ki or badha aur mai bhi ek leg per kiss karane laga unkind jaaghe bahut gori aur mulayam thi. Aunty dhire dhire ouhhh ki awaz nikal rahi thi aur hun dono gulaano ki tarah lage hue the .

Fir uncle ne kaha ki chalo bedroom me aur aunty ki saari ko wahi khich ke utaar diya ab wo peticoal aur blouse me thai. Bedroom bahut alishaan thaw aha ek room heater pahale se chal raha tha to anadar thand ka asar nahi thi. Aunty bich me let gai aur hum dono ek ek side me let gaye uncle ne unka blouse khol diya aur unke dono boobs ko azad kar diya usne bra nahi pahan rakhi thi . Boobs bade soft the hum dono uske boobs chusane lage aur uncle ne ek haat se uski chut ko sahalana suru kar diya . per mai thoda jhijhak raha tha aur keval uske pet ko hee sahala raha tha fir uncle ne mera hath pakad kar uski chut ke upper rakh diya mai uski chut me do unli daal di. Chut pahale se gili thi aur aunty pure josh me thi.

Uncle ne petticoat utha kar niche phek diya aur aunty puri nagngi go gai. Uski nangi thigh dekh kar mai bhi dang raha gaya uski thigh bahut moti thi kisi pahalwaan ki tarah maine uski thigh me hath ferana suru kar diya. Ek thigh ko mai aur ek thigha ko uncle kiss kar rahe the wo apne dono hato se hamare sir ko sahala rahi thi. Fir maine uske talave ke niche kiss karana suru kiya wo bhut chatpata rahi thi sayad use gudgudi ho rahi thi. Mai uske pair ke anghute ko apne muh me le kar dhire se katane laga wo bahut jor jor se moan kar rahi thi .

Fir unlce ne mujhe kapade utarne ko kaha wo khud bhi nange ho gaye . Mine kapade utaar diye aur per underwere nahi utaari uncle pure nange ho gai unka lund bahut chota tha. Per kahada tha. Fir unone meri underwear utaar kar fek di aur mujhe aunty ke muh me ghusaane ko kaha aunty ne lind muh me liya aur chusane lagi wo bahut maze se chus rahi thi aur uncle uski chut ko chat rahe the.

Thodi der chatane ke baad uncle ne kaha ki faad de is randi ki chut aur ghusa de apna hatiyaar. Maine aunty ki tange faila di per uncle abhi bhi uski chut ka paani pee rahe the . Mera lund unke kaan me baar baar lag raha tha fir wo dekhne lage aur mera lund jaldi se apne muh me daal diya mujhe bahut ajib lag raha tha kyo ki pahali baar koi mard mera lund chus raha tha.

Fir mera haat apne lund me rakh diya unka lund khada tha per wo bahut soft thaw o kisi chut me ghusane ke layak nahi tha. Do minute tak chusane ke baad uncle ne mera lund apane haat me pakad kar aunty ki chut me tika diya aur maine ek jhatka maar kar usko ander kar diya aur mai uski chut ko thokane laga. Aunty josh me aa kar jor jor se chilla rai thi. Ab uncle uske sar ki taraf gaye aur apna lund unke muh me de diya thodi der me unka paani nikal gaya aunty unka saar paai pee gai aur wo jhad gaye.

fir maine bhi aunty ko ghodi banana ko kha wo ghodi bani to uski gaand aur badi pahad ki tarah najar aane lagi. Ab mera man uski gaand marne ka tha. Maine uncle ko ishara kiya aur uski gaand me ungli daal di . Aunty mana karane lagi per mai tab take k ungi ghusa chukka tha uncle ne waha me dressing table se tel nikala aur gaand me daal diya aur wo bhi unli karane lage fir maine apna lund uski gaand me sata kar gusaane ki koshish krane laga. Per nahi jaa raha tha aur aunty bhi chilla rahi thi fir main eek jor se jhataka mar aunty jor se chillane lagi to uncle ne uska muh daba diya. Aur mai uski gaand marane laga aur gaand me hee jhad gaya.

Fir hamane khana khaya aur khane ke baad 1 baar aur sex kiya. Is baar humne ek sath chut aur gaand me lund dalane ki koshish ki per aunty moti thi to ban nahi paa raha tha. Rat me hum tino ek hee bed per soye the uncle ne bataya ki ye unka pahala three some experience tha.

Uncle ko station chooda wo South Bihar Exp me bilaspur chale gaye. Unke jaate hee main turant garh ki taraf faga aur raste me he apne boss ko phone karake 1 din ki chutti le li. Garh pahuchte mai aunty per tood pada wo kitchen me thi mai wahi per unkind nighty uth kar chut chatane laga aur bed room me le jaa kar choda.

Fir aunty ne mujhe office jane ko kaha to maine kaha ki chutti le li hai to aunty ne kaha ki office jao sham ko mai tume achha gift dungi. Mai din bar us raat ke bare me sochata raha. Shaam ko jab aaya to dekh ki aunty dulhan ki tarah saji thi aur bedroom me rose ki leaf daal rakhi pura mahul rangeen bana rakha tha. Maine uncle ki wine almira se Whicky nikali aur 2 peg banye aunty ne bahut mana kiya per maine pila diya. Us raat maine aunty ko 3 baar choda. Isi tarah 6 moth ho gaye.

Lagbhag 6 month ke baad mera transfer ho gaya aur mai Raigarh shift ho gaya.Kuch din baad achaanak pata chala ki uncle ka transfer NCL me ho gaya hai. Wo log waha Singaurali shift ho gaye

Fuck With A Bengali Girl.





I usually am occupied for most of the hours in my office work, except for weekends. Being in Kolkata for last two years, I must say that Bengali gals are quiet puffy with good amount of busts. I guess the Rosagulla has its own effect. I am six feet tall, with good sized penis that can satisfy a gal. I was feeling lonely when I started working in Kolkata, that is about 2 yrs ago, so my only way of entertainment in room was internet. I received a msg from unknown gal one day on my social website from a gal named Shiba, to which I did not reply initially. But she messaged me again after a week saying hi! I replied her asking “does she know me?” She was very straight forward and replied me, “ not yet, but there is no harm knowing each other”. I was ok with that and so we continued chatting. She was doing her masters in a college situated in heart of the city.

Gradually our chat progressed. We exchanged our phone numbers and continued chatting via whats app. As I already said, she was very straight forward and she was the first to initiate about sex chat! She asked me once, if I have a gf? Have I ever had sex? That took me by surprise. She had described herself to be about 5.5 height with good structure. But I had only seen her through whatsapp profile pic. She was fair and had a beautiful smile on her face always. She had come to know about where I stay and when am I going to b free and all. So one day she directly asked me, if I m interested in having sex? I was taken aback at first thinking of isn’t it too fast to progress and all. Later she herself pointed out that she only wanted to have a good time with me. I finally agreed. She said she stays in her home, so can only take permission for a day from her parents, saying that she s staying over with her friends in their hostel.

It was decided that we will meet on one Monday, she took my address and asked me to stay in my room only and she said she ll reach my room by 11am. I took off from my office and went to a local pharmacy and brought a bunch of condoms. My room is in first floor with a separate stairs to my floor, so there was no problem about owners coming to know about whats going on. She came to my area and when she had bit of confusion to reach my room, she gave me a call, I went outside to the balcony and looked at the corners, I cud make out a gal with jeans and a tshirt, with a jacket coming towards my room. I told her over phone to look at me n waved her my hand.

She immediately recognized and said, got u, I am coming. She was looking damn hot in that dress. I just waited for her near the stairs, as she was climbing it was her busts that made me go crazy. I thought to myself she sexy man, and I even complemented her, saying u look sexy in this dress for which she blushed and reciprocated sayin, u look cool in shorts.! I escorted her inside my room. I locked the door and we went in and I asked her to sit, be comfortable, she was carrying a bad, which I made her to keep aside. Even I sat on my bed. I asked her, so whats the plan for today. She told me that she had taken permission from her parents to stay with her friends that night and so she had whole day and night to hang out with me. I asked her, if she wants to booze? She said we ll do that in the night. Right now, we ll just enjoy.

I stood up and moved towards her, she was sitting in my study chair, I held her hand and helped her stand, I pulled her close to me and embraced her with my arms and moved my face close to her’s. I could feel her warm breath, and I can make out her skin getting heated up. I kissed her on her lips and looked at her, she just gave me a gentle smile. I pulled her closer and kissed her deep on her lips, we did not break the link for almost 5-10 mins. We were jus enjoying the moment. My hands started rolling through her t shirt. When I felt her skin, it was very hot. I even told her, u have become so hot. Started kissing more intensely and even bit her chin, kissed her on her neck. She hugged me tight and her body language was as if she wants it more. Literally the fire was on.!

I broke the kiss and helped her take out her jacket. She was in jeans and white t shirt, and I could make out she was wearing a bra inside the t shirt, as I had already felt it around. I took off my shirt, I was only in my shorts. I pulled her close to me. She said, u smell good. I said thank you and pinned her to the wall and was kissing her on her lips, chin, neck and my hands were pondering over her busts. She was so intense and breathing very hard.

I took off her t shirt and, she was wearing a white colored bra, with her busts of abt 34 size, wanting to pop out. I held them over her bra, and squeezed them. She just gave a gentle moan and asked me to be gentle. I asked her, if she wants it to b smooth or wild, for which she smiled and said, I want to have a wild one. Then I just squeezed her bust so hard that she moaned out loud ummmmmmm. I took off her bra and let the boobs out, she had a great nipple. It was so erect out of the hot aura.

I just couldnt resist but to just put my mouth into it. Sucked them, played with my tongue and pumped them hard that they turned so pink. All this time, she was asking me to do it more. I was actually finding it more encouraging. My dick had already got hard and had made a good bulge evident through my shorts. When I was holding her tight, she cud have easily felt my dick pressing upon her, she herself asked me, you have it hard and ready for the fun. I asked her, do you wanna hold it in your hand. I made her put her hand through my shorts and hold it. When she held my dick, the warmth, ahhhhhhh I just don’t have words to explain. Our bodies were heated up, and we were feeling the heat with our chests touching each other, I was hugging her tight and trying to put my hands over her buttocks.

But her jeans was so tight that, it had to come off. I lifter her, and dropped her on the bed, went over her, and sucked her boobs, kissed her over the navel to her lips. She was holding my head tight against her body. I came down again and started unbuttoning her jeans, at first she was hesitant and held my hand. I again kissed her, and succeeded this time in unbuttoning the jeans. Pulled the jeans slowly. Her thigh were milky white. She was wearing a violet colored panty with small flowers on it, and I cud smell her cunt secreting well and make out the wet panty.

I removed her pant and put it aside. I lifter her leg, and started kissing her from leg to thigh, and when I went towards her thigh, she was moaning so intensely that, she was fondling through my hairs and holding my head between her legs so tightly. My face was buried between her legs, I can smell an even feel her wet pussy over her panty. It was ecstatic. I came up and told her that, its so wet for which she said, its me made her so hot.

I lifter her, and placed in the middle of the bed and started pulling her panty off. It was a clean shaven pubis which we had decided earlier while chatting. Her pussy was so red with dark hue. I fingered her cunt, it was very warm and very wet. She started moaning harder. Ahhhhhhhh ahhhhhhhhh ummmmm I need it more abhi, do it faster, I was finger fucking her and she was enjoying it. She started to shout loud, all of a sudden I became conscious of the place we live and I shut her mouth by my mouth, I gave her my fingers dipped in her secretions to lick. She then offered the same to me.

She was so tired, she was lying like that only for few mins. Now it was her turn to take me on, I was fondling with her busts in my mouth and finger in her pussy. She got up and took charge, made me lie flat, and took off my shorts, my penis was way pointing at the ceiling, she took off my underwear also in no time. She caught hold of my dick in her hand and said its large. I jus winked at her.I asked her to suck it. Though it was a new thing for both of us, and both were hesitant, she somehow managed to bring her mouth to my dick and at first took my glans inside. Wow, that was a heavenly feel. I was like ahhhhhhhhh ahhhhhhhh. Take it inside baby, she took whole of it slowly and started eating it like a candy, I was so elated that at one point I felt like I will come in her mouth. I took the dick off her mouth and controlled myself. The urge stopped in few seconds.

She then asked me to fuck her, I took her down and placed myself between her legs. I took a condom for which she said, u were already prepared with every precaution.Don’t worry I had my period only four days ago, but I still did not want to take any risk, so I did put a condom and started teasing her pussy. I was keeping my dick at her pussy and was just touching her pussy from upside to down. She was feeling so horny that at once she shouted, fuck me now, I cant control. She was lifting her waist and giving me her pussy to fuck it hard. I slowly inserted my dick into her pussy, and made myself in a good position and with a single jerk, I pushed it hard. My dick felt it so hot inside the shelter, it was so tight as well and she moaned like hell. I had to fall on her stomach and kiss her on her lips and shut her off. I slowly took my dick out and reinserted it again.

I started to move it to and fro and even she started moving her waist in sync. We were kissing deeply above and fucking intensely below. Almost after 10-15 mins I felt like I m about to come, she said she also wanna come, before I came her body started shivering and she started moaning ahhhhh ahhhhhhhhhhhhh ahhhhhhhhhh abhi, hold me tight, ahhhhhhhhhhhh. Even listening to that, I did come instantly inside her. We both hugged each other and rolled over the bed and relaxed for a while. After few mins, both went to bathroom and cleaned up ourselves, came back to bed and lied down beside each other nude, she said, she ll never forget this fuck, its been her first fuck and it was so good that, she came twice.

Its not over yet guys, we had whole day and night left out. This was mine and her’s first fuck which was so memorable. Will let you know what happened ahead if you are interested. Give me your suggestions. Its almost 2 yrs past this incident, but the first fuck, I just cant forget.

নষ্ট নারী






আমি একমনে দেখতে লাগলাম দিপক শুক্লাকে কোলে বসিয়ে ব্লাউজটা খুলে ব্রেসিয়ারের এর উপর দিয়েই মাই টিপছে আর শুক্লা আরামে দিপকের কোলে এলিয়ে পড়েছে। কিছুক্ষণ পর দিপক ব্রেসিয়ারটা খুলে শুক্লার একটা মাই বামহাত দিয়ে টিপতে লাগল ও আরেকটি মাইয়ে মুখ ঘসতে ঘসতে বোঁটা মুখের ভেতরে ঢুকিয়ে চুষতে আরম্ভ করল। শুক্লা আরামে দিপকের মাথাটা মাইয়ের সাথে চেপে ধরল।
আমিও আর দেখতে পারছিলাম না, উত্তেজনায় আমার সারা শরীর কাঁপতে লাগল, কপালে ফুটে ফুটে ঘাম বেরোতে থাকল। এমন সময় প্রদীপ বলল কি দেখছ এত মন দিয়ে? আমার তখন মুখ থেকে কথা বেরোচ্ছেনা, শুধু বললাম দিপক আর শুক্লা, তারপর বাইনোকুলারটা এগিয়ে দিলাম প্রদীপের দিকে। প্রদীপ বাইনোকুলার চোখে লাগিয়ে একমনে অনেক্ষন ধরে দেখতে লাগল। আমি আবার দেখার জন্য উসখুস করছি অথচ প্রদীপের দেখা শেষই হচ্ছে না। আমার মনের কথা মনে হয় প্রদীপ বুঝতে পেরে আবার বাইনোকুলারটা আমাকে এগিয়ে দিয়ে হেঁসে বলল নাও এবার তুমি দেখ। আমি আবার বাইনোকুলারটা চোখে দিলাম, কিন্তু ওরা ওখানে নেই কোথায় গেল! তখন প্রদীপ বলল আর একটু ডান দিকে গাছের নিচে দেখ। আমি তাই দেখলাম, ওমা একি দিপক আর শুক্লা একদম ন্যাংটো, দিপকের বাঁড়াটা ঠাটিয়ে আছে আর শুক্লা ওটা মুখের ভেতরে ঢুকিয়ে চুষে চলেছে আর দিপক শুক্লার গুদে আঙ্গুল ঢুকিয়ে নাড়াচ্ছে।
ঐ দৃশ্য দেখে আমি প্রচণ্ড উত্তেজিত হয়ে গেলাম, আমার সারা শরীরের লোম গুলো পর্যন্ত খাড়া হয়ে গেছে। প্রদীপ আমার কাঁধে হাত রেখে কিছুক্ষণ দেখল তারপর আবার আমাকে বাইনোকুলারটা দিয়ে বলল নাও দেখ এবার শেষ দৃশ্য। আমিও মহানন্দে দেখতে লাগলাম, এবার দিপক শুক্লাকে মাটিতে ফেলে গুদের ভেতরে বাঁড়াটা ডুকিয়ে ওঠানামা করছে। এই দেখে আমারও গুদে কেমন যেন কুট কুট করতে আরম্ভ করেছে কিন্তু আমার বাইনোকুলারটা চোখ থেকে সরাতে একটুকুও ইচ্ছে হচ্ছেনা। দিপক একতালে শুক্লাকে ঠাপিয়ে চলেছে, ওদের কথা শোনা না গেলেও দেখে বুঝতে পারছি শুক্লাও খুব আরাম পাচ্ছে।
আমি একমনে দেখছিলাম হঠাৎ আমার খেয়াল হল প্রদীপ আমার পেছনে দাঁড়িয়ে আমাকে জড়িয়ে ধরেছে আর ওর হাত আমার বুকে। উত্তেজনায় আমি তখন কেমন যেন হয়ে গেছি। প্রদীপ আমার হাত থেকে বাইনোকুলারটা নিয়ে মাটিতে রেখে আমাকে বুকে জড়িয়ে ধরে ডাকল রত্না, আমিও প্রদীপকে দুই হাত দিয়ে জড়িয়ে ধরলাম, আমার মাই দুটি যেন পিসে গেল। প্রদীপ আমার ঠোঁটের উপর ঠোঁট চেপে ধরে জ্বিভটা আমার মুখের ভেতরে পুরেদিল। প্রথমে একটু অসুবিধা হলেও কিছুক্ষনের মধ্যেই ধাতস্ত হয়ে গেলাম, তারপর জ্বিভ নিয়ে খেলা করতে লাগলাম। একটু দম নেবার জন্য দাঁড়ালাম। আমার প্রচণ্ড লজ্জা লাগছিল তাই প্রদীপের কানে ফিসফিস করে বললাম শুক্লার মত আমাকেও আদর কর প্রদীপ। প্রদীপ বলল এসো। আবার দিপক আর শুক্লার ঘটনার পুনরাবৃত্তি করলাম আমরা দুজন মিলে। প্রায় ঘণ্টাখানেক পরে আমাদের দের দেহ মন শান্ত হয়। এই হল আমাদের প্রথম মিলন কাহিনী, সেই দিন প্রদীপ আমাকে তিনবার চুদেছিল।
রত্না গল্প বললেও সমীর শুনতে শুনতে ওদের মাই টিপে চলেছে আর সারা শরীরে গুদে হাত বুলিয়ে দিচ্ছে। এমন সময় অলকা বলল সমীর তুমি আজ প্রথমে রত্নাকে চুদবে, তারপর আমাকে চুদবে। প্রথম দিন তো এক চোদোনেই জল খসিয়ে ছিলে। আজ দেখব তোমার বাঁড়ার কত জোর, কার কতবার জল খসাতে পার।
রত্নার গুদে হাত বোলাতে বোলাতে সমীর বলল আমার সখির গুদ যেভাবে রসিয়ে রয়েছে তাতে মনে হচ্ছে দুবার তো জল খসবেই। রত্না তখন সমীরের বাঁড়াটা ধরে বলল এ যা যন্ত্র বানিয়েছ তাতে কোন ঠন্ডা মেয়েরও দুইবার তো জল খসবেই তাতে কোন সন্দেহ নেই, আর আমি ও অলকা তো খুব গরম হয়ে রয়েছি। অলকা সমীর কে বলল এজন্যই তো প্রথম দর্শনেই তোমার বাঁড়ার প্রেমে পড়ে গিয়েছিলাম।
সমীর রত্নাকে কোলে তুলে একহাতে মাই টিপতে থাকল ও আর একহাতে গুদের বালে হাত বোলাতে থাকল।
Writer – নিরব চৌধুরী
সাকির বসে বসে ভাবছিল অফিসের কথা। হরতাল মানুষকে পঙ্গু করে দিচ্ছে। জাতীতে আমরা বাঙ্গালী। আমাদের একটি জাতীয় অভ্যাস আছে, তা হল আলস্য। আর সপ্তাহে সরকার দু’দিন বন্ধ দিয়ে এবং বিরোধী দল হরতাল দিয়ে আমাদের অভ্যাস টাকে আরও বৃদ্ধি করে দিচ্ছে। হরতাল বা বন্ধ এর পর দিন অফিসে গিয়ে ছুটির আবেশ কাটাতেই সময় চলে যায়। ফলে অফিসে যে কি কাজ হয় তা সহজেই অনুমেয়। সাকিরের এটি ভাল লাগে না। এমন কেন হয়? মুখেতো সকলেই দেশকে ভালবাসে আসলে কি এটাই তার নমুনা?
আজ হরতাল তাই গতকাল অফিসে ঠিকমত কাজ হয়নি। সাকিরের অবশ্য তেমন কোন কাজ না থাকায় বন্ধুদের সাথে আড্ডা দিয়ে সময় কাটাতে হয়। গত কালের আড্ডাটি বেশ জমে উঠেছিল। বিশেষ করে নাসিরের কথাগুলো ওর মনে খুব ধরেছে। নাসির ওর কলিগ। খুব সুন্দর করে গুছিয়ে কথা বলতে পারে। নাসির যেখানে থাকবে সেখানে আর কারো কথা বলার সুযোগ থাকে না। তবে গত কাল ও বেশ সুন্দর সুন্দর কথা বলেছে। এক কথার জের ধরে ও বলেছে- মানুষ মন থেকে যা চায়, যদি অযৌক্তিক ও হয় এবং চাওয়াটা যদি অন্তরের হয় তবে তা পাওয়া যায়। কথাটি সত্যি। কারণ ওর নিজের জীবনে এমন একটি ঘটনা আছে যা ওর কথার সাথে মিলে যায়। সাকির অতীতে ফিরে যায়-
কলেজ থেকে বেরিয়ে মাত্র চাকরীতে ঢুকেছে। কলেজের গন্ধ তখনও গা থেকে যায়নি। তাই চাকুরীর সঠিক পদ্ধতিতে ও চলতে পারে না। দেখতে শুনতে খুব সুন্দও আর ফর্সা চেহারাটা ওর একটি প্লাস পয়েন্ট। হ্যান্ডসাম বলতে যা বুঝায় সাকির তাই। চাকুরীতে ঢুকে ওর প্রথম পরিচয় ঘটে অজিতের সাথে। অজিত ওর চেয়ে এক বৎসরের সিনিয়র। দেখতে দেখতে ৩ বৎসর পেরিয়ে গেল। সাকির এখন ভাল কর্মচারী। সকলেই ওকে ভালবাসে। কাজের জন্য না হলেও ওর ব্যবহা্রে সকলেই প্লিজ। হঠাৎ ওকে বদলি করে ঢাকায় দেয়া হলো।
ঢাকাতেও ৫ বৎসর কেটে গেল। অজিতের সাথে খুব একটা যোগাযোগ ছিল না। হঠাৎ সেদিন অজিতকে হেড অফিসে দেখে সাকির বুকে জড়িয়ে ধরলো। সব কুশল জিজ্ঞেস করে জানতে পারলো অজিত এখন ঢাকায় থাকে। ইতোমধ্যে বিয়ে করেছে এবং একটি ছেলেও আছে। বৌকে চাকুরী নিয়ে দিয়েছে। সে হেড অফিসে চাকুরী করে। সাকির শুনেতো অবাক। এই সময়ে মধ্যে এতো কিছু হয়ে গেছে? আর ও এখুনও বিয়েই করেনি। অনেকখন কথা বলে শেষে বাসার ঠিকানা দিয়ে বাসায় যাওয়ার আমন্ত্রন জানিয়ে বিদায় নিল অজিত।
কয়েকদিন পর হঠাৎ সাকিরের মনে হলো অজিতের বাসায় যাওয়ার কথা। যেই চিন্তা অমনি রওনা। হেড অফিস ২টায় শেষ কাজেই বিকেলে ওদের পাওয়া যাবে ভেবে রওনা দেয় সাকির। ঠিকঠাক মত বাসাও পেয়ে যায়। অজিত ওর বৌকে পরিচয় করিয়ে দেয়। সাকির অবাক হয়ে তাকিয়ে থাকে রমা বৌদির দিকে। সাকির ভাবে কত মেয়ের সাথেইতো এ পর্যন্ত দেখা, পরিচয়, ঘনিষ্ঠতা আর মিলন হয়েছে কিন্তু এমনটি আর দেখিনি। অজিত এমন একটি বৌ পাবে তা স্বপ্নেও ভাবতে পরেনি। যেমন গায়ের রং তেমনি লম্বা চুল। মাথা ভর্তি চুলগুলো আঁকাবাকা হয়ে পিঠের উপর থেকে নেমে মাজার নিচ পর্যন্ত ঢেউ খেলে যাচ্ছে। বডিটাও মেয়েলি ধরণের খুব সুন্দর। পেটে এতটুকু মেদ নেই। পাছাটি বেশ ভারী। শরীরের সাথে এমনভাবে মানিয়েছে যেন সৃষ্টিকর্তা নিজের হাতেই ওকে তৈরী করেছেন। অজিত ঠাট্টা করে বলে – কিরে আমার বৌ পছন্দ হলো ? সাকির লজ্জা পেয়ে বলে-তোর বৌ আমার পছন্দ হবে কেন? আমার বৌদিকে খুব পছন্দ হয়েছে। আর প্রথম দেখাইে প্রেমে পড়ে গেছি। সবাই একসাথে হেসে উঠে। অজিত ঠাট্টা করে বলে-দেখিস ভাই আমি তোর মত সুন্দর না, প্রেম টেম করে আমাকে আবার এতিম করে দিস না। বৌদিও কম যায়না। সংগে সংগে বলে উঠে-রমাকি পৃথিবীতে একজন নাকি? প্রেম করে যদি ওর সাথে ভেগেই যাই তবে তুমি আর একজন রমাকে খুজে নিও। অজিত সাথে সাথে রমাকে জড়িয়ে ধরে বলে-রক্ষে কর আমি আর রমা খুজতে পারবো না। আমারটাই আমার কাছে থাক। সবাই আবার উচ্চস্বারে হেসে উঠে। এভাবেই সাকির আর অজিত পরিবার দিন দিন ঘনিষ্ট হয়ে ওঠে। অজিত সাকিরকে খুব বিশ্বাস করে তাই ঐ মেলামেশাকে কোন খারাপ দৃষ্টিতে দেখে না। অবশ্য সাকিরও এমন কিছু করেনি যে তার জন্য অজিত তাকে সন্দেহ করতে পারে। দিন চলতে থাকে। রমা ঠিকই বুঝতে পারে সাকির ওর প্রতি খুবই দূর্বল হয়ে পড়ছে। কিন্তুু কোন মতেই প্রশ্রয় দেয় না।
সাকিরের মনে যে আগুন প্রথম দেখাতেই জ্বলেছিল তা ধীরে ধীরে বেড়ে এখন তীব্র আকার ধারণ করেছে। কিন্তু কোন উপায় দেখে না। কিভাবে ও রমাকে আপন করে কাছে পেতে পারে। বলতে গেলে সাকির এখন সারাক্ষণ রমার চিন্তায় মসগুল থাকে। মাঝে মাঝে ও স্বপ্নেও দেখে। সাকির ইচ্ছে করে বড় সাহেবকে বলে রমার বিভাগে বদলী হয়ে ওকে কাছে থেকে পেতে চাইল। এতে করে খুব অল্প দিনেই সাকির রমার খুব কাছে চলে এলো। সাকির বুঝতে পারে বন্ধুর বৌয়ের প্রতি নজর দেয়া বা তাকে আপন করে পাওয়ার চিন্তা করা খুব খারাপ কিন্তু পোড়া মনটাকে কিছুতেই বুঝাতে পারে না। সারাক্ষণ ও একই চিন্তা কি করে রমাকে পাওয়া যাবে। রমা ওর সাথে সব কিছু আলাপ করে। অনেক অনেক কথা কিন্তু একটি বিষয়ে সে দুরত্ব বজায় রেখে চলে। রমা প্রথম দিনই ঝুঝতে পেরেছিল সাকির ওর জন্য কতটা উগ্রিব। তাই ওর সাথে ভাব জমিয়ে ওকে দুরে রেখেছে।

Vavi sexy story





Mere apartment mein 4 th floor mein mere flat ke side mein ek family raheta tha. Family mein 3 mrmbers the. Husband wife aur uski beti Payal ( name changed). Husband sales manager tha aur woh max tour pe hi raheta tha aur uski wife ek nurse thi. Payal 20 years ki thi aur woh B.sc first year mein padhti thi. Payal hamesh revealing dress pahenti thi..Payal bohot hi sexy thi. 34-26-34 height 5 .3 . Use jab bhi dekhta tha mere dimag kharap ho jata tha. Hamesha ghar mein tight top aur short half pant ya skirt pahenti thi. Payal padai mein utni acchi nahi thi so uake parents ne mujhr use tution dene ke liye kaha. Since i am a student of maths so i was requested to teach her maths.

So tution start hua. Mein office se aake use padhane laga mere room mein. Pahele kuch din thik thak hi raha. But kuch din jane ke baad uski attitude mein kuch badlaw ane lagi. Sundays n saturdays ko jab me ghar mein raheta hu taab woh aisehi aa jati thi maths sikhne ki bahana karke aur kabhi mujhko apni boobs ya kabhi kayde se navel dikhaya karti thi.

Ek din kya hua barish ka mousam tha aur uski papa as usual tour pe tha aur uski mom ( jo ki nurse hain) ki night duty lagi thi. So shaam 8 baaj rahe the aur mein use tution de raha tha to uski mummy aayi aur boli ki Payal mein jaa rahi hoon tu khana khake thik se lock karke so jana. Payal boli thik hain mummy aur mere aur dekhke thodi si smile de di. Woh smile ekdom katilana tha aur mera dil dhadhak utha smile dekhke.Payal usdin ek pink color ki top aur ek white color ki tight half pant pahenke ayi thi. Top ekdam tight thi aur transparent type ki thi….uff…ekdam maal lag rahi thi. Me khudko control kar nahi paa raha tha but still some how I tried to concentrate on studies. Tabhi mene dekha ki Payal left hand ae apni boobs ki cleavage ko khuja rahi hai. Ye scene dekhke mera dimag mein khun daud gya. Lund khada hone laga. Mein some how control kiya khudko. Abhi 5 mint hi hua tha ki mene dekha woh apni right hand ki middle finger se half pant ki upar se apni chut khuja rahi hain.yeh scene dekhkar mera dimag kharap ho gaya.mera lund ekdam tan gaya. Somehow control ki aur bola

Kya kar rahi ho Payal.?
Payal- kk…kuch nahi sir.
Me- concentrate on ur studies.
Payal- mmmm…..khujli ho rahi hain sir…. I can’t concentrate.
Me- kaha pe? Kaha pe khujli ho rahi hain?
Payal- half pant ki andar sir….mm…bohot khuja rahi hain.
Me – thik hain khuja lo jaldi se.
Payal- dar lagti hain sir.
Me- kyu kya hua khujao….isme darne ki kya baat hain.
Payal- sir itni badi nakhun hain meri….bychance laag gayi to chil jayegi…..aap khuja do na….plzzz
Me- main kaise khujau….kya bol rahi ho tum Payal.
Payal- plz sir…..ye bolke usne mera haat pakad ke apni chut mein laga di.
Me – I started rubbing….mmmm….psss….psss….psss…psss…aaah…thik hain Payal….? Aah….khujli kam hua?
Payal- aah nahi sir….aur bad gayi….plz andar ghusake rub karo na ….ye bolke usnd aapni elastic wali half pant utar di. Ab mera hat uske panty ke upar tha…..me jor jor se rub karne laga.

Aah …..sir….mm….aur rub karo….aur….mmmm.

Mein aapna haat uski panty me ghusa diya…..mmm….ppoosssss. Aahh…. Rishab.. Mmm…… Uuffff…..rub it ye….aaaaa….as. Woh mera saar pakda aur boobs mein laga diye…..suck it…. Aahhhh…..suck my boobs…uuffff. Mein jor jor se chut masalne laga aur boobs chusne laga…aopp…aao..aopp..opp..opp.aop.

Me- khujli kam hua Payal? Hnnggmmm…aopp..aoppp..aoppp….kam hua?
Payal- aaah….aahh…ahh….aur jor se.a…ahh…rub it hard i said…uuff….
Mene tab apna middle finger uski chut mein ghusa diya aur in out karne laga……off……aahh…it was full wet in side.
Payal – ooooohhh mummy…aahhh….slow….aahh…plzdhire aahhh.

Mein continusly in out karte raha….ahh…pucch..pucch..pucch..pucchh..uuff.Payal ne aapna legs spread kar diya…uff…..I then put my tongue on her cunt and started licking it. Jor jor se chatne laga uski garam chut ko.

Payal- aahh….Rishb….aaise hi chuste raho…ahh….aise hi…uff…..pyas mitao meri chut ki…uuuff…maaaa.
Me- eellluulll…..mmm…..yeh kya hain Payal…ahhh….elllmm..mm.
Uski clitoris me jeev firatee huye pucha…ahhh.
Payal – off…ma….ahhh…mar gayi..aahh..aahh..ahh…ohhh mummy aake dekho kaise Rishab tumhari absence me mera chut chus raha hain….ahh….maaa..
Me : elll….elll…elll…..clitoris me halke se bite kiya….allleiiooopppp..mm..ahh.
Payal – offfff…Rishab……ahhhhhh…..pls leave my cunt….plz…ahhh.
Payal – aahh…ahhh….I wanna suck ur dick..ahh….give me.aahh…give me plz…uufff….LUND DO MUJHE…AAHHH.

Mein ne utha aur sab khulke ekdom nakes ho gaya….ahh….mera lund 9 ” khada ho chuka tha….uff. Payal ne jhat se mera adha lund muh me ghusa liya aur jor se chusne lagi….Aoopp aopp…..ahhh…..aopppp.. Ahhh…..me pagol ho gaya tha..aur jor jor se moan karne laga…aahh….yes…suck it ….ahhh…suck it Payal…uuf …! Bahar barish ho raha tha aur andar hum log chudai kar rahe the…ahhh.

Payal- aopppp..aopppp..mmm.aoppp..ahh….I ll chew ur dick..aahh..aopppp.
Me…ahhhh…I will tear ur cunt….faad dunga yumhari chut…uff.

Tabhi Payal ne mujhe jakar ke pakda….aur mere kan me bite kadke boli ….” fuck me Rishab…. Fuck ur slut student hard”
Ahhh…me Payal ke upar let gaya aur use kas ke pakad ke use smooch karne laga. Apna lund uski chut me masal te masalte pucha.





Abhi bhi itching ho rahi hain,Payal….mmmm…fss…fs….fs.. .aauimm.mumaah..mmauimmahh
Aahhh..auummmmauumahh…haa Rishab….uff…..chodo mujhe….chodne se yeh khujle mitegi….uffffff. Mene halka sa dhakka diya. Aur woh chikh uthi…..uuuufffff. Mene thoda aur diya…aahh…chut ekdam kasi hui thi..uuff….!

Payal- aahhh….maaaa…uufff

Mene uske lips me ab jor se bite kiya aur puri takat se ek strok lagaya. Hnn…mm…POOOCHH.
AAHH…..MM..MMM….AAHHH….PPOOOCHHHH.Payal cheekh pari…. Uuii……maa….aahhh. Mein chodte raha….Pooch……pocchhh….poch…. Fuck u…aahh…poch..poch….fuck u…hard..uff.

Payal – aahh….fuck me…..CHOD SALE…JEE BHARKE CHOD..AAHH.
Me – aahh….poochh….pocchh…pooxhh…ye le…Focchh…focch..ahh..I ll tear ur cunt
Payal – aahh….fad saale…..fad de meri chut ko..uuff…..hay re….aa..hh..mar gayi me…kya ghusaya hain re…ooof…maaaa.
Me..poccjh…pocchhh…pocchh..chup…hh…pocchh…poxxhh..pocchh..poxxhh.ahh.
Payal- ah fuck me Rishab..pel do meri chut ko..jor se chudo…jorse..aah
Me- FACH…FACH..FACH….AAHH….ye le kha mere lund ki chudai….kha…ahh…kya maal hai re tu….uff.
Payal – I am ur slut Rishab…aah..fuck me….sari raat chudo mujhe…off.

Aise lagatar chudai karte rahe hum log usdin….subhe 4 baje tak chudai ki…uff….kya raat thi…..iske baad bhi mene Payal koi koi bar chuda….baad me uski dad ki bhi promotion hua aur woh log Guwahati chod ke chale gaye.

কচি বউ





“কী হয়েছে বাবা? এটা জাস্ট একটা প্যারোডি ছিলো। নাথিং এলস! আর কাল তুমি আমার স্ল্যাং ইউজ করাতে আহত হয়েছিলে, যদিও তা বলনি, কিন্তু আমি খুব বুঝতে পেরেছিলাম। আজ তুমিই সেটা করছ? হোয়াটজ রং বাবা?”
তার কন্ঠে নিখাঁদ বিস্ময়।
“ওহ, তুমি তো কাঁপছো রীতিমত। স্যরি বাবা। প্যারোডি’টার নিম্নমান হয়তো তোমাকে আহত করেছে। নাও এক গ্লাস পানি খেয়ে নাও”
এক গ্লাস পানি আমার সত্যিই খুব দরকার ছিলো। আমি আসলেই কাঁপছি। গলা শুকিয়ে কাঠ!
“খেয়ে নাও বাবা, এরপর আমরা মুভি শো শুরু করব”
“আজকে বাদ দাও। আমার শরীর ভালো লাগছে না”
“ওকে বাবা। সি ইউ টুমরো। গুডনাইট!”








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পরেরদিন কোনকিছুতেই আমার মন বসছিলো না। খুব অস্থির লাগছিলো।অফিসের মধ্যেই সন্তর্পণে বাথরুমে গিয়ে জলিকে ফোন করে চাপা গলায় বললাম,
“জলি, ও আরো বেশি কিছু জানে!”
“কে কী জানে!”
এই গাধী মহিলাকে কোনকিছু একবার বললে বুঝবে না। ইচ্ছা করছিলো চিৎকার করে গালাগাল করি। কিন্তুনিজেকে শান্ত রাখলাম প্রাণপন প্রচেষ্টায়।
“ববি। ববি ওর মায়ের মৃত্যুর ব্যাপারটা জানে”
“ও মা! তা কেন জানবে না? ছাদ থেকে পড়ে মারা গিয়েছিলো। এটাতো সবাই জানে।”
“আমাদের প্ল্যান…”
“চুপপপপ! গাধার মত কথা বল না। প্ল্যান অনুযায়ী কিছু হয় নি। যা হবার এমনিতেই হয়েছে। এখন সবকিছুভজঘট করে দিও না!”
আমি ফোন রেখে দিলাম। জলির কন্ঠের শীতলতা আমাকে জমিয়ে দিচ্ছে। আমার মনে হচ্ছে এই অফিস,টেলিফোন, রাস্তাঘাট সবই হরর উপাদান! নাহ আর কোন হরর ছবি না। আজকে মুভিস্টোরে যাব না। কোন হরর ছবি কিনবো না। আর ববি মাতবরিকরতে গেলে দেবো এক চড়।
“আনো নি আজকে?”



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“না”
“হাহা! তা অবশ্য এনে কী করবে! জীবনটাই তো একটা হরর সিনেমা তাই না?”
“শাট আপ!”
“স্যরি বাবা, আমি ফিলোসফি চোদায় ফেলছি। উপস! এই দেখো আবারও স্ল্যাং ইউজ করলাম। আজকেও কী তোমার শরীর খারাপ করছে? ঘুমিয়ে যাবে? গল্প করবে না? কালকের ফিল্মগুলো কিন্তু দেখা বাকি এখনও!”
আমি আর নিতে পারছিলাম না ওর তীর্যক বাক্যবান। সোফায় গা এলিয়ে দিয়ে শুয়ে পড়লাম। শরীর একদম ছেড়ে দিয়েছে।
“বেশি হাঁসফাঁস লাগছে বাবা? জানালা খুলে দিই? উফ একদম বাতাসনেই। চল ছাদে যাই। যাবা?”
“এত রাতে ছাদে যায় কেউ?”
“কেন তুমি ভয় পাচ্ছো?”
“ভয় পাবো কেন!” ইটজ জাস্ট নট দ্যা প্রপার টাইম!”
“তা অবশ্য ঠিক বলেছো বাবা। ছাদ তো আর পালিয়ে যাচ্ছে না। একদিন গেলেই হল। হরর মুভিও পালিয়ে যাচ্ছে না। একদিন দেখলেই হল। সবকিছু কী সহজ, তাই না? নাকি আমরা সহজ বলে ভুল করি? যেমনটা তুমি করেছিলে। তুমি তো তেমনটাই ভেবেছিলে বাবা, তাই না?”
“আমি কিচ্ছু করিনাই, কিচ্ছু না। বিলিভ মি!”
“উপস! তুমি কিছু করেছিলে এমনটা কেন ভাবছো বলতো? আর বিশ্বাস অবিশ্বাসের প্রসঙ্গই বা কেন আসবে? যাও বাবা, শুয়ে পড়।”
আমি ওর কাঁধে ভর করে বিছানায় যাই।
“ঘুমোনোর আগে কিছু পড়বে বাবা? সামথিং রিলাক্সিং…একটু অপেক্ষাকর”
সে আমাকে একটা পুরোনো ট্যাবলয়েডএনে দিলো। যেগুলোর শিরোনামে বড় বড় করে খুন খারাপির কথা লেখা থাকে। আমি অনিচ্ছাস্বত্ত্বেও শিরোনামে চোখ বুলোতে গিয়ে দেখলাম লাল রঙের হরফে লেখা-
“ঢাকার সবুজবাগে পুত্রের হাতে নৃশংসভাবে পিতা নিহত”
আমি ঝট করে ববি’র দিকে তাকালাম।
“গুডনাইট, বাবা!”
ও চলে গেলো।
আমার মাথায় ঘুরতে লাগলো সবুজবাগ, ঢাকা, খুন। এলাকাটা মিলে গেছে। বাবা-ছেলে একসাথে থাকতো এটাও মিলে গেছে। এমন কী বয়সেও অদ্ভুৎ সাদৃশ্য। ববি আমাকে কেন এটা দিলো? কী বাজে ভাবছি! স্রেফ কাকতালীয় ব্যাপার।যেমনটা ছিলো আমার আর জলির পরিকল্পনার সাথে ববির মা’র দুর্ঘটনাটা মিলে যাওয়া। এটাও কীমিলে যাবে! টেলিফোনটা ভাইব্রেট করছে, জলির ফোন। ও কেন যেন কোন কারণ ছাড়াই ফোন করে হিহিহিহিহি করে হাসছে। ও কী বুঝতে পেরেছে? আমার দুর্দশা দেখে হাসছে? দরজায়কড়া নাড়ছে কে? ববি? কী চায়? কী চায় সে!
কিছুক্ষণ পর ধাতস্থ হয়ে বুঝতে পারি আমার নার্ভাস ব্রেকডাউন ঘটেছিলো। জলির ফোন আসে নি। ববিও দরজা ধাক্কায় নি। চারিদিকে সব ভয়ের উপাদান। সব হরর এলিমেন্ট ঘিরে ধরেছে আমাকে। আমি জানি এখন থেকে ববির আর হরর মুভি দেখে রাত পার করতে হবে না। রিয়্যাল লাইফ হরর এর মজা পেয়ে গেছে ও…
পরেরদিন সকালে বের হবার সময় আমাকে সে বলল,
“এখন থেকে আমরা হরর মুভির বদলে ক্রাইম ড্রামা দেখবো, ওকে বাবা?”
আমার নাম ইমা। বয়স ২৫ এর একটু বেশী। প্রাইভেট ইউনিভার্সিটি থেকে বের হয়ে একটি মাল্টিন্যাশনাল কোম্পানী তে মোটামুটি স্যালারীর জব করছি। বাবা-মা এর সাথে থাকি আর স্বামী বা সন্তান এর কোন ঝামেলা নেই, তাই আমার স্যালারীর অনেকাংশে ব্যাঙ্কে শাখা-প্রশাখা গজাচ্ছে।
DesiBees-র খবর পেলাম এক অনলাইন বন্ধুর কাছে, যার সাথে মাঝে মাঝে হুটহাট কথা-চ্যাট হয়। দুরত্বের কারনেই হয়তো তার সাথে সম্পর্ক টা খুব কম সময়েই ন্যাস্টি পর্যায়ে চলে গিয়েছে। সে আমাকে তার লেখা চটি পরতে দিয়েছিলো। আমি বেশ মজা করেই পড়েছিলাম। বেশ ভালোই লিখে ছেলেটি। ওহ, তার নিক হলো Gorib_Manush
আমি আমার জীবনের কিছু গল্প তার সাথে শেয়ার করেছিলাম। আমি লেখালেখি করি শুনে বললো আমার জীবনের গল্প নিয়ে গল্প লিখে ফেলা উচিত। তাই একি সাথে ভয় আর এক্সাইটমেন্ট নিয়ে লিখতে বসে গেলাম নিজের কাহানি।
যাকে নিয়ে এই গল্প তার বয়স ছিলো ৫০ এর ঘরে। আর তখন আমার বয়স ছিলো ১৭… সবে মাত্র কলেজে উঠেছি। তিনি আমার বড় চাচা। আমি বাবা-মার সাথে থাকি। এক মাত্র সন্তান হওয়ায় হয়তো আমার ব্যাপারে বাবা-মা খুব বেশী কনজারভেটিভ ছিলেন। সবাই যখন প্রেমের হাওয়ায় ভেলা ভাসিয়ে অনেক কিছু দেখে/শুনে/বুজে/করে ফেলেছে, আমি তখন টিভি তে সিরিয়াল দেখে আর নির্দিষ্ট কিছু বান্ধবীর সাথে কথা বলেই সময় পার করছিলাম। আমার বড় চাচা হলে আর্মির রিটায়ার্ড মেজর। উনি থাকতেন যশোর। চাচি অনেক আগেই মারা গিয়েছিলেন, কিন্তু বড় চাচা এর পর আর বিয়ে করেননি। আমাকে খুব আদর করতেন ছোট বেলা থেকেই। আমাকে দেখার জন্যই উনি মাঝে মাঝে আমাদের বাসায় এসে এক সপ্তাহ দুই সপ্তাহ বেড়িয়ে যেতেন। আর যখনই আসতেন তখনই আমার জন্য দু হাত ভর্তি গিফট নিয়ে আসতেন – কখনো জামা কাপড়, কখনো আমার পছন্দের খাবার।
ঘটনা বলা শুরু করি তাহলে। একটু পিছিয়ে যাই। আমার যখন ১৬ বছর, সামনে ইন্টারমিডিয়েট পরিক্ষা – তখন থেকে শুরু করি।






পরীক্ষার ঠিক আগে দিয়ে আমার মধ্যে একটা নার্ভাসনেস কাজ করছিলো। এসএসসি তে আমি এ প্লাস পেয়েছি, এইচএসসিতেও পেতে হবে, বাবা মা এরকমই প্রত্যাশা করছিলো আমার কাছে। আমার প্রিপারেশান ভালো ছিলো, তবুও ঠিক কনফিডেন্স পাচ্ছিলাম না। তাই শুরু করলাম রাত জেগে পড়াশোনা।
একদিন এরকমই এক রাতের কথা, ফিজিক্স পার্ট টু পড়ছিলাম। আমার টেবিল ল্যামপ জ্বলছিলো রুমে, আর সব অন্ধকার। বাইরেও অন্ধকার। হঠাৎ পাশের বাসায় লাইট জ্বলে উঠলো। আমার রুমের জানালার দিকেই ঐ বারান্দাটা মুখ করা। খুব গা ঘেষাঘেষি বিল্ডিং। বারান্দার পরেই বেডরুমের জানালা এবং পর্দা উঠানো। সেদিন অনেক গরম পড়েছিলো, তাই আমিও জানালার পর্দা উঠিয়ে রেখেছিলাম। ভালো করে তাকাতেই দেখি জানালা দিয়ে খুব আবছা ভাবে দেখা যাচ্ছে একটা মেয়ের ধবধবে সাদা পিঠ। চুলগুলো উঁচু করে বাঁধা তাই পিঠ অনেকটাই উন্মুক্ত! একটু পর একটা ছেলে এসে তার সামনে দাঁড়ালো… মেয়েটা কিছুটা ঝুকে গেলো, আর ছেলেটার চেহারা সাথে সাথে বদলে গেলো। যেন এক দারুন সুখের সন্ধান সে পেলো।
আমি টেবিল ল্যাম্পটা নিভিয়ে দিয়ে জানালার পর্দা ফেলে খুব সাবধানে একটু ফাঁকা করে দেখতে লাগলাম ওদের কান্ড। ছেলেটা হঠাৎ মেয়েটার মাথা সরিয়ে দিলো ওর কোমরের কাছ থেকে, আর তখনই আমি দেখলাম ইয়া বিশাল একটা নুনু!!! আমার ছোট খালার ছয় বছরের ছেলে রুপকের নুনু আমি অনেকবার দেখেছি, ধরেছি, কিন্তু ওরটা এরকম না। এতো বড়ও না, এতো মোটাও না। সবচেয়ে বড় কথা রুপকের নুনু এইভাবে সটান দাঁড়িয়ে থাকে না। মনে হচ্ছিলো যেন একটা মোটা লাঠি! এই এতো বড় যন্ত্রটা কিভাবে ছেলেরা প্যান্টের ভেতর নিয়ে ঘোরে কে জানে!
আমার মাথা কেমন যেন ঝিমঝিম করতে লাগলো, যখন দেখলাম ঐ অতো বড় মেশিনের মতো নুনুটা মেয়েটা তার মুখের ভেতর কি সুন্দরভাবে ঢুকিয়ে নিলো! আর তখনই লোডশেডিং… আর অন্ধকার হয়ে গেলো সবকিছু
সেই ঘটনা আমার জীবনে বেশ বড়সর ধাক্কা দিলো। আমি আগে কখনো এসব নিয়ে মাথা ঘামাতাম না, কিন্তু সেই ঘটনার পর মাথার মধ্যে শুধু সে রাতের দেখা ছবিটা ঘুরছিলো। কিছুতেই নামাতে পারছিলাম না। আমার আশে পাশের পুরুষদের ভিন্ন চোখে দেখা শুরু করলাম। যার দিকে তাকাই, মনে হয় ওর টা কি অতো বড়ো! ওটা মুখে নিলে কেমন লাগে! এমনকি পরীক্ষার হলে বসেও এসব কথা মাথায় ঘুরতো।
যাইহোক, পরীক্ষা শেষ হলে সেই বাসায় বসে থাকা। বসে বসে যখন চরম বোর হচ্ছিলাম তখন বেড়াতে গেলাম মামার বাসায়। অনেকদিন পর মামার বাসায় গিয়ে মনে হলো আমি মুক্তি স্বাধীন। মামাতো বোন স্বচরিতার সাথে দেখা হল অনেক বছর বাদে। দুজনের মনে পড়ে গেলো ছোটবেলার সেই দুষ্টুমির কথা। রিতার বিয়ে হয়েছে এক বছর হল কিন্তু এখনো সেই দুষ্টুমি তার মাঝে চরম পরিমানে বিদ্যমান। রাতে আমরা এক সাথে গুমোতে গেলাম।
এটা সেটা কথার পর আমাদের কথার মোড় ঘুড়ে গেলো সেক্স এর দিকে। আমি এই ব্যাপারেই যেমন অজ্ঞ, রিতা তেমনি বিজ্ঞ। রিতা তার ভয়ঙ্কর ভয়ঙ্কর গল্প (অন্তত সেই রাতে আমার কাছে তাই মনে হয়েছিলো) ঝোলা থেকে বের করছিলো আর আমার কানে ফিসিফিস করছিলো। আমি দম বন্ধ করে কাঠ হয়ে পড়েছিলাম।
রিতা – বিয়ে হইছে এক বছর, কিন্তু সোয়ামী রে পাইলাম না বেশীদিন। লোকটা চাকরী নিয়া বিয়ার দুই মাস পরেই মিডল ইস্ট চইলা গেলো। ক, কেমন কষ্ট হয় আমার!
আমি – কিসের কষ্ট! (অবশ্যই বোকার মতো প্রশ্ন)
রিতা – এই মাগী, বুঝস না কিসের কষ্ট! আরে, মাত্র দুইমাসের চোদায় কি কিছু হয়? সবেমাত্র শিখা শুরু করছিলাম। প্রথম এক মাস তো এদিক অদিক বেড়াইতে বেড়াইতে আর রাতের বেলা ভয়ে ভয়ে করতে করতেই গেলোগা। সে চইলা যাওয়ার পর প্রথম এক মাস খুব কষ্টে কাটছে।
আমি – কেমনে করতিরে?
রিতা – কি কস! তুই কোনদিন ব্লু-ফিল্ম দেখস নাই? কেমনে করে মাগী জানস না?
আমি – নারে, আমি এসব নিয়ে কারও সাথে কথাও বলিনি কখনো। কখনো কিছু দেখিনি। তবে এক রাতে একটা জিনিস দেখেছিলাম।
তারপর আমি রিতাকে সেই রাতের কথা বললাম। রিতা আমার কথা শুনে কিছুক্ষন হাসলো মুখ চাপা দিয়ে। তারপর আমাকে তার প্রথম রাতের কথা বললো – কিভাবে কি করেছে।
-”উমমমমম,… অউমমম আহ্হঃ, হাহা, এই বয়সে এমন সুন্দরী কচি বউ
পাওয়া তো চাট্টিখানি কথা না!প্চ্মহ… হমমমমমম “
-”উঃ! উমমম আমি আপনার কচি বউ নাকি? উহ্ম্ম্ম্হ …আহ্!”
-”তাহলে তুমি কি বল তো সোনামণি? উমমমমম?প্চ্ম্ … ঔম্!”
-”আহ্হঃ ইশশশ … জানিনা”
-” আমায় ওই নামে ডাকবেন না!”
-”কচি বউ! হাহা উমমমমম..”
-”ধ্যাত্!”
-”কি হলো?”
-”একটু আস্তে টিপুন না!”
-”উমমম, হাহা সুন্দরী তুমি তো জানই, আমার হাত কথা শোনে না!…
-কি করবো বলো!”
-”আউচ্ লাগছে!”
-”উমমম, আমার যে ভালো লাগছে!”
-”ইশশশ!… আহঃ!”
-”মমমম……..”
“সংযুক্তা?..”
-”উম?”
-”এই বয়স্ক লোকটাকে একটু আদর তো কর!”
-”করছি তো!”
-”কই?”
-”আঃ, উমমম..”
-”তোমার ওই সুন্দর কচি তরতাজা গোলাপী-গোলাপী ঠোঁট দুটো দিয়ে চুমু খাও না আমায়..উমমম “
-”উমঃ .. প্চ্ম্..”
-”ব্যাস ওইটুকু!”
_”আরো কত চাই!”
-”উমমম তোমরা এই আঠের বছর বয়সী মেয়েগুলি বড় অহংকারী! আমি জানি! আমার ছোট মেয়েটাও এরকম!”
-”ধ্যাত্, .. উফ্ আপনি না… প্চ্ম,…. উম্প্চ্ম .. হয়েছে?”
-”আরেকটা হামি, উম্মমম !”
-”প্ছ্হ্| নিন এবার ছাড়ুন! অঙ্ক করবো তো!”
-”হুমম উচ্চমাধ্যমিক সামনে না? ভুলেই গেছিলাম!”
-”উম্, হ্যাঁ| বুকটা ছাড়ুন! প্লিজ্!”
-”উম্… এত নরম-নরম ,.. তোমার এই টি শার্ট টার কাপড় বড় সুন্দর, কোথা থেকে কিনেছো?”
-”উফফ আমি ওইদুটো এবার কেটে ফেলবো!এদিকে দেখুন না!”
-”আচ্ছা বাবা হাত নামাচ্ছি! কই দেখি দাও!”
-”উম্|”
রত্নপুর উচ্চমাধ্যমিক বিদ্যালয়ের স্বনামধন্য প্রাক্তন teacher in charge রতিকান্ত বর্মন এই মুহূর্তে তাঁর বিশাল কক্ষে জানলার ধরে রোদে গা এলিয়ে বসে ছিলেন আরামকেদারায়| চা পর্ব শেষ হেছে বেশ কিছুক্ষণ হলো|
এখন খবরের কাগজটা সামান্য উল্টেপাল্টে দেখা| যদিও পড়ার মতো বিশেষ কিছুই পান না তিনি, দৈনিক খুনখারাপী এবং রাজনীতির ক্লেদাক্ত উপবেশনে তাঁর আগ্রহ অনুপস্থিত| শুধু হেডলাইন গুলিতে চোখ বলানো, আর স্টক মার্কেট-এর বিজ্ঞপ্তিতে চোখ রাখা| এই একটিমাত্র বিষয়ে, সরাসরি যুক্ত না হয়েও তাঁর অপার কৌতুহল| রত্নপুরে কেনা তাঁর এই বিশাল ফ্ল্যাটে লোকজন খুবই কম| পরিচারিকা, বাজার সরকার এবং নিচেরতলায় গ্যারাজে তাঁর বিশাল toyota গাড়ির রক্ষক এবং কিছু পেয়াদা| একাকিত্বের জীবন তাঁর অভ্যাস হয়ে গেছে অনেকদিন হলো| যদিও একাকিত্ব উপভোগে তিনি বিন্দুমাত্র উত্সাহী নন| ছাত্র-ছাত্রী পড়ানোয় তিনি বিশেষ খ্যাতি অর্জন করেছেন অনেকদিন হলো| এবং এতেই তাঁর সময় বেশ ভালই কেটে যায়| এবং এই একই কারনে তাঁর জীবনের উষ্ণতা শীতের রৌদ্রের আমেজের উপর্যুপরি আরো বৃদ্ধি পায়|
‘ding dong’.. কলিং বেলের আওয়াজ শুনে হাসিমুখে খবরের কাগজ নামিয়ে রাখেন তিনি| নিচে দরজা খোলার আওয়াজ হয়, এবং তার কয়েক মুহূর্ত পরেই সংযুক্তা তাঁর বসার ঘরের দোরগোড়ায় এসে দাঁড়ায়| ওর হাতে বই জড়ো করে উদরের কাছে চেপে ধরা|
তাঁর দোরগোড়ায় আঠেরোর অপরূপ সুন্দরী মেয়েটিকে দেখে মুগ্ধ হন যেনো আবার নতুন করে রতিকান্ত| এই ঝলমলে সকালেও ঘরের মধ্যে যেন আলো বিকিরণ করছে ওর রূপ!
কাঁধে এলিয়ে পরা ঘন কালো চুল, টানা টানা দুটি মায়াবী চোখ, পানপাতার মতো গরনের টকটকে ফর্সা মুখমন্ডলে দুটি লাল টুকটুকে কমলার কোয়ার মতো ঠোঁট| ওর মুখমন্ডলে অন্যতম আকর্ষনীয় বৈশিষ্ট্য হচ্ছ ওর মাঝারি আকৃতির তীক্ষ্ণ নাকটি, ওর সারা মুখের ঢলঢলে লাবন্যে যার ইশত ঔদ্ধত্য অপূর্ব দ্যোতনার সৃষ্টি করেছে| মুখে একটি টিপে ধরা মিষ্টি হাসি নিয়ে ঘাড়টি একটু ঝুঁকিয়ে দাঁড়িয়ে আছে মেয়েটি| লাল টুকটুকে একটি পাতলা সালোয়ার কামিজ ওর পরনে| সামান্য কৃশ ছিপছিপে তনুটির সঠিক স্থানে অপূর্ব বাঁক ও উদ্ধত রেখার সুডৌল উপস্থিতি| সংযুক্তা বুকে ওড়না না দিয়ে গলায় ঝুলিয়ে রেখেছে এবং সপ্রসন্ন দৃষ্টিতে রতিকান্ত দেখেন মেয়েটির সুডৌল পাকা আমের মতো দুটি সমুন্নত উদ্ধত অষ্টাদশী স্তনের লাল কামিজ টানটান করে চোখা-চোখা ভাবে ফুলে থাকা সামনের দিকে, যেন তাঁরই দিকে মাথা তুলে আছে স-অহংহ্কারে! ওর সরু কোমরের সুন্দর ভাঁজটিও স্পষ্ট কামিজের অবয়বে| টকটকে লাল সালোয়ার কামিজটি ওর দুধে আলতা ত্বকের সাথে খুবি সুন্দর মানিয়েছে|
ছাত্রীকে দেখে মৃদু হেসে রতিকান্ত সোফায় এসে বসেন চেয়ার থেকে উঠে| হাসিমুখে সংযুক্তাও এসে ওঁর পাশটিতে বসে পা একসাথে জড়ো করে| বইগুলো পাশে নামিয়ে রাখে|
-”কেমন আছেন স্যার?” সুন্দরী অষ্টাদশী হাসিমুখে শুধায়|
-”ভালো, তুমি নিশ্চই ফাঁকি দিছো!”
-”ধ্যাত!”
-”হাহা, ধ্যাত বললে তোমায় খুব মিষ্টি লাগে!”
-”হ্যাঁ, শুধু আপনারই!”
-”হাহাহা, দুষ্টু হোমওয়ার্ক সব করেছ!?”
-”করেছি, তবে সব পারিনি!”
-”তবে শাস্তির জন্য প্রস্তুত হও!”
-”স্যার, সব কি পারা যায় নকি!”
-”তা জানিনা! কাজ না করলেই শাস্তি!”

শুক্রবার, ২৫ মার্চ, ২০১৬

ছাত্রী সাথে মজাই sex .........


one এপার্টমেন্টের নীচে এসে একটা কল দিলাম, আগেও এই মহিলার সাথে কথা হয়েছে ওনার মেয়ে পড়বে। লিফট পার হয়ে দরজা নক করতে ৫/৬ বছরের একটা বাচ্চা খুলে দিল, ফর্সামত মোটাসোটা একটা মহিলা টিভি দেখছে, ফোনের মহিলা উনিই হবেন। পরিচয় পর্ব শেষে উনি যা বললেন তার সারমর্ম হলো মেয়েকে ইঞ্জিনিয়ারিং পড়াতে হবে, সানরাইজে ভর্তি হয়েছে, তারওপর বাসায় আমাকে এসে পড়াতে হবে। অনেক কথা হলো, একফাকে সাত হাজারের ব্যাপারটা কনফার্ম করে নিলাম। ঘরভর্তি দামী

আসবাব পেইন্টিং এ ভরা। আব্বু সাহেব ঘুষখোর না হয়েই যায় না। ড্রয়িং রুমের সাইজ দেখে অনুমান করি অন্তত আড়াই থেকে তিন হাজার স্কয়ারফীটের ফ্ল্যাট হবে।
উনি বললেন, ঠিকাছে তাহলে নাবিলার রুমে যাও, ও রুমে আছে। এই বলে কাজের মেয়েটাকে ডেকে বললেন, টিউটর এসেছে ওনাকে নিবির রুমে নিয়ে যাও।
মেয়ের নাম তাহলে নাবিলা। দুটো নাবিলাকে চিনি, দুটৈ সুন্দরী এবং মহাবজ্জাত, দেখি তৃতীয়টা কেমন হয়। আমি জুতাটা বাইরে খুলে রেখে এসেছি, কিন্তু গান্ধা মোজাটা খুলে আসতে মনে ছিল না। ফ্লোর যে পিচ্ছিল মোজায় মোড়ানো পা না হড়কে যাই। লিভিং রুম কিচেন সব ঝকঝকে এপ্লায়েন্স আর ফার্নিচারে ঠাসা। করিডোর পার হতে গিয়ে আরেকটা হোচট খেলাম। দেয়ালে ছোট সাইজের ফ্রেমে জিন্নাহর ছবি। কিভাবে সম্ভব? বাংলাদেশে?
কাজের মেয়ের ঢলঢলে পাছা দেখতে দেখতে নাবিলার রুমের সামনে গেলাম। ঢাকা শহরে যত কাজের মেয়ে দেখেছি তাদের সবার সেক্সী ফিগার থাকে। এ ব্যাপারে আমার একটা থিওরী আছে। কাজের মেয়েরা দিনে রাতে ১৬/১৭ ঘন্টা খাটাখাটুনি করে এক্সারসাইজের সুযোগ পায়, এজন্য দেহের বাধুনীগুলো থাকে মারাত্মক।
নাবিলার দরজা বন্ধ। কয়েকবার নক করে মেয়েটা ঠেলে ভেতরে ঢুকলো। রুমের অবস্থা দেখে হতভম্ব আমি। গীটার, অজস্র সিডি, Bose সাউন্ড সিস্টেম পড়ে আছে এক দিকে। জনি ডেপের লাইফ সাইজ পোস্টার। খোলা ক্লজেটে জামা কাপড়ের সারি অথবা স্তুপ। ভীষন অগোছালো অবস্থা। কেমন একটা নিগেটিভ ভাইব পেতে শুরু করলাম, এর মধ্যে একটু আগেই জিন্নার ছবি দেখেছি আবার।বিছানায় বসে একটা মেয়ে নেইল পলিশ মেখে যাচ্ছে। আমাকে দেখে মেয়েটা বললো, ভাইয়া কেমন আছেন। আমি নাবিলা।
নাবিলাকে দেখে মনে হয় না সে উচ্চমাধ্যমিক পরীক্ষা দিয়েছে, অনায়াসে নাইন টেনের মেয়ে বলে চালিয়ে দেয়া যায়। তার ফর্সা গোলগাল মুখমন্ডলের বড় বৈশিষ্ট্য হলো গাঢ় বাদামী চোখের সপ্রতিভ চাহনি। মনে হয় মেয়েটাকে যেন ধরলে গলে যাবে। সে বললো, ভাইয়া আমার রিডিং রুমে চলুন। পাশে একটু ছোট একটা রুমে ওর বই পত্র, মোস্টলি গল্পের বই, হুমায়ুন আহমেদ সমরেশ ছিটিয়ে আছে। আমি শুরু করতে যাচ্ছিলাম কতদুর প্রিপারেশন হয়েছে এসব নিয়ে, নাবিলা থামিয়ে বললো, ভাইয়া সবাইকে যে ডাক্তার ইঞ্জিনিয়ার হতে হবে এমন কোন কথা আছে?
– আসলে … সবাই তো আর ডাক্তার ইঞ্জিনিয়ার হচ্ছে না, হতে চাইছে মাত্র, কিন্তু চেষ্টা করতে দোষ কি?
– যে চেষ্টায় লাভ হবে না সেটা করার কোন মানে নেই। আমি বুয়েট, ডিএমসি কোনটাতেই চান্স পাব না। আমার বন্ধুরা সবাই প্রাইভেট ইউনিতে ঢুকবে আমিও সেটাই করব, শুধু শুধু সময় নষ্ট।
আরো অনেক কিছু বললো নাবিলা, ওর বাগ্মিতায় মুগ্ধ হতে হয়, বেশীরভাগ বাঙালী মেয়ের চেয়ে অনেক জানাশোনা বেশী, একটা অগ্রসর মনের অস্তিত্ব বের হয়ে আসছিল। ও শেষে বললো, ভয় পাবেন না, আপনি তিন মাস পড়াতে এলে আমার আপত্তি নেই, তবে চাইলে আমরা গল্প করেও কাটাতে পারি। আমার রুমে আব্বু আম্মু ঢুকবে না কখনও।
ঠিক হলো সপ্তাহে দুদিন আসবো আমি। যাওয়া আসা করি, টুকটাক পড়াশোনা নিয়ে কথা হয়, কিন্তু মুল ডিসকাশন ছড়িয়ে ছিটিয়ে যায় নানা দিকে। প্রথম প্রথম একটু খারাপ লাগত, মাস শেষে টাকা তো ঠিকই নেব, কিন্তু জিন্নার ছবি আর ওর সম্ভাব্য ঘুষখোরের বাপের কথা ভেবে দেখলাম, এভরিথিং ইজ ফেয়ার। একদিন বলে বসলাম, ঘরে জিন্নাহ কেন? নাবিলা বললো, এটা ওর দাদার, মুসলিম লীগ নেতা ছিল পাকিস্তান আমলে, বাংলাদেশ হয়ে যাওয়ার পর আর সরাসরি রাজনীতি করেনি, কিন্তু জিন্নাহকেও ছাড়ে নি । আমি বললাম, একজন বাঙালী হিসাবে আমি একটু হলেও অফেন্ডেড হয়েছি। এই যে তুমি বল তোমার বাবা মা ডিসিশন চাপিয়ে দিচ্ছে, মেয়ে হয়েছ বলে অনেক কিছু করতে পারছ না, তুমি জানো এসবের শেকড় কোথায়? আমাদের সংস্কৃতির যে পুরোনো ধারা বা রক্ষনশীল ধারা, সেই বিষবৃক্ষের অনেকগুলোর একটা সিম্বল হচ্ছে জিন্না। মেয়েদেরকে ঘরে আটকে রাখার জন্য সমাজের এই অংশটাই সবসময় সোচ্চার। এরকম নানা কথা হত নাবিলার সাথে। আগেই বলেছি আমি ওর বুদ্ধিমত্তায় মুগ্ধ, বাঙালী মেয়েদেরকে বাকপটু দেখেছি তবে গুছিয়ে সমৃদ্ধ আলোচনার যে দক্ষতা সেটা নাবিলার মধ্যেই প্রথম দেখলাম। আমার শুধু ভয় হতো ওর ঐ চোখগুলো দিয়ে ও আমার খোল নলচে দেখে নিচ্ছে না তো। হয়তো আমি কি ভাবছি সবই টের পাচ্ছে। একটা উলঙ্গ অনুভুতি বয়ে যেত।
মাসখানেকের মধ্যে আলোচনার আর কোন প্রসঙ্গ বাকি থাকলো না, শুধু ক্লাসের পড়া ছাড়া। পলিটিক্স, রিলিজিয়ন, প্রেম, সেক্স, ফেমিনিজম সবই হল। একদিন পড়াতে গিয়েছি, বাসায় মনে হয় কেউ নেই, কাজের মেয়েটা ছাড়া। নাবিলা বললো,
আপনি বসুন আমার বেশ কিছু অনেস্ট মতামত দরকার। ও মিনিট পাচেক পর জামা বদলে জিন্স আর জ্যাকেট পড়ে এল।
– বলেন কেমন দেখাচ্ছে?
– খুব বেশী মানাচ্ছে না
– কিইইই? আচ্ছা ঠিকাছে বদলে আসছি
এরপর এক এক করে স্কার্ট ফ্রক সম্ভবত ইভিনিং গাউন লেহেঙ্গা শাড়ী পড়ে এল। আমি বললাম, অনেস্ট মতামত চাইলে বলবো ফ্রকে সবচেয়ে ভালো লেগেছে।
– সত্যি বলছেন? আমি তাইলে খুকীই রয়ে গেলাম।
– এটা এক ধরনের শাপে বর হিসেবে নিতে পার, তোমার বান্ধবীরা আজ থেকে পনের বছর পর যখন বুড়িয়ে যেতে থাকবে তুমি তখনও চির টিনেজার থেকে যাবে।
– আমি টিনেজার থাকতে চাই না, আমার ওম্যান হওয়া দরকার। আচ্ছা সত্যি করে বলেন তো আমাকে কি সুন্দরী মনে হয়?
– অবশ্যই। তুমি ভীষন কিউট
– সুন্দরী আর কিউট ভিন্ন জিনিশ। তবে অনেস্ট মন্তব্য করার জন্য ধন্যবাদ। একটু দাড়ান আমি আসছি
নাবিলা মুখে মেকাপ, মাসকারা, লিপস্টিক লাগিয়ে এসে বললো, এখনো সেক্সি দেখাচ্ছে না? শুধুই কিউট?
থমকে গেলাম ওকে দেখে। কিশোরী চেহারার মেয়েটাকে অদ্ভুত সুন্দর দেখাচ্ছে। নিজে নিজে ভালই সাজতে পারে। একটা নিষ্পাপ কুমারী ভাব ওর মুখে
– ইউ লুক লাইক এ্যান এঞ্জেল
– তার মানে সেক্সী নয়, এই তো?
– আমি বলেছি পরীর মত, পরীরা কি সেক্সী না?
– নাহ। পরীরা তো মানুষই না, পরীরা হচ্ছে ১৫ বছর বয়সে আটকে থাকা কিশোরী। শুধু মানুষই সেক্সী হতে পারে। আপনি পিটার প্যানের কাহিনী পড়েন নি? ওখানে ফেইরীরা সবাই ঐ বয়সে আটকে আছে
নাবিলার সাথে কথায় পেরে ওঠা অসম্ভব। সে কাছে এসে বললো, আমার চোখের দিকে ৫ মিনিট তাকিয়ে থাকেন, দেখি আপনার চোখ দিয়ে পানি পড়ে কি না।
এরপর থেকে যতদিন গিয়েছি প্রতিদিন নিয়ম করে ওর চোখের দিকে তাকিয়ে থাকতে হত। নাবিলা বললো, ওর খুব স্বাধীন হতে ইচ্ছা করে কিন্তু
কিভাবে সেটা সম্ভব সেটা খুজে পাচ্ছে না। আমি বললাম, আমি সারাজীবন ছেলে হিসেবে বড় হয়েছি, তোমার সমস্যা পুরোপুরি বোঝা সম্ভব নয়। আর ইউনিতে ঢোকার পর আমি মোটামুটি স্বাধীন বলতে পার। রাত দশটায় বাসায় ফিরি, কোন জবাব দিতে হয় না। হয়তো তুমি বিদেশে পড়তে গেলে স্বাধীনতা পাবে। এই দেশের এই মানুষেরা তোমাকে সহজে স্বাধীনতা দেবে না।
আমার নিজের পরীক্ষা চলে আসায় দুসপ্তাহ যাওয়া বাদ দিতে হলো। এরপর ভর্তি পরীক্ষার চারদিন আগে শেষবারের মত পড়াতে যাব নাবিলা বললো, বিকেলে না এসে সকালে আসুন। সকালে গ্রুপ স্টাডি করি, বাধ্য হয়ে ঐদিন বাদ দিলাম। আজকেও বাসায় কেউ নেই, সেই কাজের মেয়েটা ছাড়া। নাবিলার রুমে যেতে একটা খাম দিয়ে বললো, আম্মু দিয়ে গেছে। আমি আর বাড়তি কিছু পড়বো না, যা পারি দিয়ে আসবো। তবে আপনাকে ভীষন ধন্যবাদ। আমার এই তিনমাস সময় খুবই ভালো কেটেছে, যেটা আপনি জানেন না। কিন্তু শেষবারের মত একটা অনেস্ট মন্তব্য করতে হবে। নাবিলা আমাকে ওর রিডিং রুমে বসিয়ে দিয়ে গেল। পাচ মিনিট দশ মিনিট করে প্রায় আধা ঘন্টা পার হল, নাবিলার দেখা নেই। ফিরে যাওয়া দরকার। পকেটে টাকা, আমি নিজেও খুব ফ্রী ফিল করছি। নাবিলা তার বেডরুম থেকে বললো, এই রুমে আসুন চোখ বন্ধ করে। আমি চোখ বন্ধ করে ওর বেডরুমে ঢুকলাম। নাবিলা বললো, চোখ খুলুন এখন।
মাথায় ইলেকট্রিক স্টর্ম শুরু হয়ে গেল মুহুর্তেই। নারী দেহের সাথে আমি তখন ভালই পরিচিত। কিন্তু এমনভাবে নই। নাবিলা গাঢ় লিপস্টিক আর মেকাপ দিয়ে, মাথায় কানে নাকে অলংকার পড়ে নগ্ন হয়ে দাড়িয়ে আছে। বুকের কাছে জমে আছে ফোলা ফোলা দুটো দুধ। খয়েরী রঙের সীমানার মধ্যে শক্ত হয়ে থাকা বোটা। গায়ে একটা তিলও নেই মনে হয়। মেদহীন মসৃন তলপেটের নাভী থেকে নেমে গিয়ে পুরোপুরি শেভ করা ভোদা। ভোদার গর্ত শুরু হয়েছে বেশ ওপর থেকে, অনুমান করি নীচেও অনেকদুর গিয়েছে খাদটা। ভোদার ওপরের মালভুমি ফুলে আছে, কখনও কি ব্যবহৃত হয় নি? ভোদাটা আসলেই নতুন নয়তো ওর চেহারার মত ভোদাটা তার পুরো অতীত ভুলে আছে। ওদের বাসাতেই অনেক পেইন্টিং, স্কাল্পচার আছে। কিন্তু পৃথিবীর কোন ভাষ্কর্যের সামর্থ নেই এর চেয়ে সুন্দর হয়। এত নিখুত নারীদেহ আমার চোখে পড়ে নি। তখনই শব্দ দুটো মাথায় এল। মোমের পুতুল। পরীও না ফেইরী না। অত্যান্ত যত্ন করে রাখা মোমের পুতুল। ওর ফর্সা মসৃন শরীরটা প্রায় স্বচ্ছ রঙ ধরেছে কিনারায়। একটু সম্বিত ফিরলে বুঝলাম আমাকে লাইন বাই লাইন স্ক্যান করে নিতে হবে এই দৃশ্যটা মাথার মধ্যে। এই ভাস্কর্যের একটা কপি নিজের কাছে না রাখালেই নয়।
নাবিলা বললো, সেক্সি অর নট?
– সেক্সী। সত্যি বলছি সেক্সী। মোমের পুতুলের মত, আগুন জ্বেলে দিলেই গলে যাবে।
– মোমের পুতুল?
– হু
– ঘুরে দাড়াব?
নাবিলা ৩৬০ ঘুরে নিল। পারফেক্ট বাবল বাট। ফুলে আছে যেন মনে হয় কামড়ে দিয়ে আসি। আমি নাইট স্ট্যান্ডের ওপর বসে পড়লাম। সব ওলট পালট হয়ে যাচ্ছে। এই মেয়েটার মধ্যে এত কিছু ছিল! নাবিলা একটা একটা করে জামা কাপড় পড়ে নিল। তারপর বললো, যদি কোনদিন এই মোম জ্বেলে দিতে মন চায় তাহলে ফোন করবেন। এখন আমাকে একটা চুমু দিয়ে চলে যান, আম্মু চলে আসবে।
আমি তখনও পুরো ঘটনাটা বোঝার চেষ্টা করছি। নাবিলা অপেক্ষা না করে কাছে এসে আমার দু গাল হাত দিয়ে ধরলো, তারপর ঠোটে গাঢ় করে চুমু দিল। বললো, মনে থাকবে? আমি বললাম, থাকবে।
এই মেয়েটাকে ছেড়ে এখন কিভাবে যাবো বুঝতে পারছি না। নাবিলা তাড়া দিল, আম্মু চলে আসবে, চলে যান।
আমি ওর হাতটা আমার দুহাতে নিয়ে জোরে চাপ দিলাম কিছুক্ষন। তারপর আর কিছু না বলে বাসা থেকে বের হয়ে গেলাম। bangla choti satri
মোমের পুতুল একদিন ফোন করে জানিয়েছিল, ডাক্তারী ইঞ্জিনিয়ারিং কোনটাতে হয় নি, আইইউবিতে বিবিএতে ঢুকেছে …
এতদিন পর আজ আবার দেখা হল। সময় কত দ্রুত চলে যায়। নষ্ট হয়ে যাওয়ার ভয়ে সেই মোম জ্বেলে আজও দেখা হল না